डीबीटी धनराशि का इस्तेमालः पिता कर देते हैं फिजूलखर्ची , मां खरीदती हैं यूनिफॉर्मः 15 जिलों में हुआ सर्वे, पढ़े
उत्तर प्रदेश:मां बच्चों की परवरिश और पढ़ाई को लेकर पिता की तुलना में ज्यादा संजीदा होती हैं । चाहे वो फिर सरकार की ओर से बच्चों को मिल रही पोशाक का मामला हो या फिर उसके सदुपयोग का । जी हां , शिक्षा विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में तो कमोबेश यही निष्कर्ष निकल कर आया है ।
सरकार की डीबीटी योजना के तहत 64 फीसदी मांओं के खातों में पैसा गया तो 36 फीसदी बच्चों के लिए पिता के खाते में डीबीटी किया गया । बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा करवाए गए थर्ड पार्टी सर्वेक्षण में ये तथ्य सामने आए हैं । मां ने किया पैसे का सदुपयोग , पिता शराब पी गए सर्वे में सामने आया कि मांओं के खाते में पैसा आने से इसका सही उपयोग हुआ जबकि पुरुषों के खाते में जाने से इसके दुरुपयोग होने की संभावना बढ़ जाती है । लखनऊ के उच्च प्राइमरी के एक बच्चे की मां ने बताया कि पिता के खाते में पैसा आया , हमने कहा कि बेटी को वर्दी दिलानी है लेकिन उसने इसकी शराब खरीद कर पीली ।
प्रधानाध्यापकों ने गिनाए फायदे:
कपड़ा खरीदने के लिए टेण्डर निकालने , टेलर बैठाने , सबकी नाप दिलवाने और फिर यूनिफार्म बनने के बाद नाप को लेकर गड़बड़ होने पर अभिभावक नाराज होते थे । सरकार और अभिभावकों को हमेशा शक होता था कि हम गड़बड़ी कर रहे हैं । जूते – मोजे , स्वेटर की फिटिंग को लेकर झंझट रहता था ।
15 जिलों में हुआ सर्वे:
माइक्रोसेव कंसल्टिंग ने इस सर्वेक्षण को 15 जिलों के ग्रामीण और शहरी इलाकों के स्कूलों में किया । इसमें 18 स्टेकहोल्डरों ( हितधारकों ) से बात की गई । वहीं 1016 परिवारों में सर्वे किया गया । अमेठी , फर्रुखाबाद , झांसी , कानपुर देहात , लखनऊ , आजमगढ़ , बलरामपुर , चित्रकूट , प्रयागराज , सिद्धार्थनगर , आगरा , अलीगढ़ , गौतमबुद्ध नगर , गाजियाबाद , हाथरस में सर्वे किया गया ।
ये भी है दिक्कतें:
◆ चित्रकूट में 20 बच्चों की मांओं ने कहा कि स्कूल से यूनिफार्म मिलनी चाहिए क्योंकि उन्हें बैंक नहीं जाना । ये सभी दलित वर्ग की अशिक्षित महिलाएं हैं । बैंक में उनके साथ ठीक व्यवहार नहीं होता , वे बैंक जाकर पैसे नहीं निकालेंगी ।
◆ कानपुर के 10 बच्चों की मांओं ने 1100 रुपये प्राप्त होने से इनकार किया लेकिन जब उनकी पासबुक देखी गई तो पाया गया कि उनके बैंक एकाउंट में पैसा आया है ।