Site icon बेसिक शिक्षा विभाग समाचार

टूटेगी 53 करोड़ की एफडी! शिक्षकों-कर्मचारियों को सैलरी देने के लिए पैसे नहीं


गोरखपुर: दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर (DDU) विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट गहरा गया है। स्थिति यह है कि शिक्षकों और कर्मचारियों को देने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन के पास बजट नहीं है। शासन ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। जो परिस्थितियां बन रही हैं और शासन से जो दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं, उससे साफ है कि विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी वर्षों पुरानी जमा 52.98 करोड़ की एफडीआर तोड़नी पड़ सकती है।एक के बाद एक योजनाओं की घोषणा कर हमेशा सुर्खियों में रहने वाले गोरखपुर विश्वविद्यालय के पास अपने शिक्षकों और कर्मचारियों की सेलरी देने तक के पैसे नहीं हैं।वित्तीय संकट के कारण कई योजनाएं अधर में लटकी हैं। हर महीने करीब सात सौ शिक्षकों-कर्मचारियों की सेलरी पर करीब सात करोड़ रुपये खर्च आता है। समय-समय पर शासन द्वारा वेतन और अन्य कार्यों के लिए अनुदान दिया जाता है। करीब 40 करोड़ के सालाना ग्रांट में से कोरोना महामारी के कारण शासन द्वारा 20 प्रतिशत ही देने पर सहमति बनी है। हाल के समय में शासन से ग्रांट नहीं मिलने के कारण जून महीने से ही विश्वविद्यालय में वित्तीय संकट गहराया हुआ है। ग्रांट के सम्बंध में विश्वविद्यालय प्रशासन ने 18 जून को शासन को पत्र लिखकर वेतन मद और गैर वेतन मद में अवशेष धनराशि की स्वीकृति निर्गत करने का अनुरोध किया था।

शिक्षकों, कर्मचारियों को जैसे-तैसे मिली सैलरी

डीडीयू में अमूमन महीने की पहली तारीख को शिक्षकों और कर्मचारियों के खाते में सेलरी आ जाती है। सितम्बर महीने में रिकॉर्ड देरी हुई थी और 6 सितम्बर को सभी को सेलरी मिली थी। अक्तूबर में नवरात्र पर्व को देखते हुए 8 अक्तूबर की शाम जैसे-तैसे मैनेज करके सेलरी डाली गई। लेकिन अब अगले महीने की सेलरी के लिए डीडीयू प्रशासन के पास पैसे नहीं बचे हैं।

आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को जून से नहीं मिला वेतन

डीडीयू में आउटसोर्सिंग के जरिए करीब तीन सौ कर्मचारी व सुरक्षाकर्मी रखे गए हैं। उन्हें आखिरी बार मई महीने की ही सेलरी मिली थी। बताते हैं कि जिस एजेंसी के जरिए संविदा कर्मचारियों को आउटसोर्स किया गया था, उस एजेंसी के साथ डीडीयू का करार जून में ही खत्म हो गया है। उसके बाद भी चार महीने से कर्मचारियों से नियमित कार्य लिया जा रहा है।


Exit mobile version