Site icon बेसिक शिक्षा विभाग समाचार

हाईटेक हुई कम्प्यूटर की पढ़ाई, पिछड़े यूपी बोर्ड के छात्र


हाईटेक हुई कम्प्यूटर की पढ़ाई, पिछड़े यूपी बोर्ड के छात्र

प्रयागराज: कम्प्यूटर की पढ़ाई में यूपी बोर्ड के कक्षा 9 से 12 तक के तकरीबन सवा करोड़ छात्र-छात्राएं पिछड़ रहे हैं। वर्तमान में शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा बन चुके कम्प्यूटर में सीआईएससीई और सीबीएसई के छात्र जहां नवीनतम लैंग्वेज और साइबर सेफ्टी की पढ़ाई कर रहे हैं वहीं यूपी बोर्ड के बच्चे वो किताबें पढ़ रहे हैं जो उनके बड़े भाई-बहन और मम्मी-पापा ने पढ़ी थी।यूपी बोर्ड ने तकरीबन दो दशक से कम्प्यूटर कोर्स अपग्रेड नहीं किया है। सीबीएसई में नौवीं और 10वीं के विद्यार्थी साइबर सेफ्टी, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, नेटवर्किंग, ऑफिस टूल्स, प्रोग्रामिंग के तहत एसक्यूएल व एचटीएमएल पढ़ रहे हैं। वहीं 11वीं व 12वीं के छात्र प्रोग्रामिंग में पायथन, एसक्यूएल, नेटवर्किंग, साइबर सेफ्टी आदि की पढ़ाई कर रहे हैं।

सीआईएससीई के नौवीं व 10वीं के विद्यार्थी ऑपरेटिंग सिस्टम जीयूआई, ऑफिस टूल, पावर पॉइंट के साथ एथिक्स, साइबर क्राइम और 11वीं व 12वीं के विद्यार्थी जावा प्रोग्रामिंग पढ़ रहे हैं। वहीं यूपी बोर्ड के विद्यार्थी नौवीं और 10वीं में कम्प्यूटर का परिचय, प्रकार, संख्या प्रणाली, ऑपरेटिंग सिस्टम लाइनेक्स व प्रोग्रामिंग के अंतर्गत सी भाषा पढ़ रहे हैं। 11वीं व 12वीं के छात्र कंप्यूटर फंडामेंटल के साथ संख्या प्रणाली, नेटवर्किंग, सीप्लसप्लस भाषा तथा एचटीएमएल प्रोग्रामिंग के साथ ऑफिस टूल की पढ़ाई कर रहे हैं।

कहीं कम्प्यूटर लैब पर सालों से ताले, कहीं खुद फीस दे रहे बच्चे

प्रदेशभर के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में दस साल पहले आईसीटी योजना के तहत बड़े पैमाने पर कम्प्यूटर शिक्षा शुरू की गई थी। प्रत्येक स्कूल को 10-10 कम्प्यूटर देने के साथ निजी एजेंसियों से आउटसोर्स पर कम्प्यूटर शिक्षक 15 हजार रुपये मानदेय पर रखे गए थे। लेकिन पांच साल बाद योजना बंद हो गई। सेवा समिति विद्या मंदिर इंटर कॉलेज रामबाग समेत अधिकांश स्कूलों में कम्प्यूटर लैब पर चार-पांच साल से ताला जड़ा है। केपी इंटर कॉलेज जैसे कुछ स्कूलों में प्राइवेट शिक्षक हैं, जिनके मानदेय का भुगतान बच्चों से शुल्क लेकर किया जा रहा है।

राजकीय विद्यालयों में नहीं हैं कम्प्यूटर शिक्षक

प्रदेश के 2285 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में 10,768 पदों पर सहायक अध्यापक भर्ती के लिए लोक सेवा आयोग ने 15 मार्च 2018 को विज्ञापन जारी किया था। सूचना प्रौद्योगिकी के युग में विद्यार्थियों को कम्प्यूटर दक्ष बनाने के लिए सरकार ने इसी के तहत पहली बार कम्प्यूटर शिक्षकों के 1673 पदों पर भर्ती शुरू की थी। लेकिन परीक्षा के बाद केवल 7 शिक्षकों का चयन हो सका था। शेष पद खाली रह गए। साफ है कि जब शिक्षक ही नहीं है तो राजकीय विद्यालयों में कम्प्यूटर की पढ़ाई कैसे होगी।

11वीं में पायथन लैंग्वेज, शिक्षकों को पता नहीं

यूपी बोर्ड ने महामारी काल से पहले कम्प्यूटर कोर्स में मामूली बदलाव करते हुए कक्षा 11 में पाइथन लैंग्वेज शामिल की थी। लेकिन मजे की बात है कि शिक्षकों को ही इसकी जानकारी ही नहीं है। नए पाठ्यक्रम से संबंधित सूचना इंटर कॉलेजों में कम्प्यूटर पढ़ाने वाले शिक्षकों को अभी नहीं है।

कक्षा नौ से शुरू होती है कम्प्यूटर की पढ़ाई

यूपी बोर्ड के अधिकांश स्कूलों में कम्प्यूटर की पढ़ाई कक्षा 9 से शुरू होती है। यही कारण है कि कक्षा नौ में फंडामेंटल के साथ बेसिक जानकारी से कम्प्यूटर शिक्षा की शुरुआत होती है। शिव चरण दास कन्हैया लाल इंटर कॉलेज जैसे चुनिंदा स्कूल ही हैं जहां कक्षा छह से कम्प्यूटर की पढ़ाई कराई जाती है।

इनका कहना है

कम्प्यूटर लैब सफेद हाथी बन कर रह गई है। चार साल से लैब में ताला पड़ा है। आज तक कम्प्यूटर शिक्षकों के पद सृजित नहीं किए जा सके हैं। ऐसे समय में जबकि कम्प्यूटर शिक्षा के बगैर शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती हमारे बच्चे इससे वंचित हैं।

ब्रजेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष प्रधानाचार्य परिषद और प्रधानाचार्य सेवा समिति विद्या मंदिर इंटर कॉलेज


Exit mobile version