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अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में 21 अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज, इतने करोड़ों का हुआ घोटाला


अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले में 21 अधिकारियों के ऊपर मुकदमा दर्ज, इतने करोड़ों का हुआ घोटाला

लखनऊ। सपा शासनकाल में संतकबीरनगर में हुए अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले व हमारी बेटी उसका कल योजना के तहत 2.84 करोड़ रुपये से अधिक की धांधली के मामलों में सतर्कता अधिष्ठान (विजिलेंस) ने एफआइआर दर्ज कर विवेचना शुरू की है। खुली जांच में आरोप सही पाये जाने पर विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी थी। शासन के आदेश पर विजिलेंस ने तत्कालीन दो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी धनेंद्र कुमार शर्मा व अजय कुमार यादव समेत 21 नामजद आरोपितों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज की है। विजिलेंस के गोरखपुर सेक्टर में यह केस दर्ज कर छानबीन शुरू की गई है।

मुकदमे में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी कार्यालय के तत्कालीन कनिष्ठ सहायक मु. अनस के अलावा मदरसा बेगम वारिस अली एजूकेशन वेलफेयर सोसाइटी के प्रबंधक मु. आमिर जफर, तत्कालीन प्रधानाचार्य सरफराज आलम, मदरसा इस्लामिया के प्रबंधक हफीजुर्रहमान के अलावा विनोद कुमार श्रीवास्तव, मु. ताबीस, खुर्शीद आलम, रामदीन, विजय कुमार सि‍ंह, इश्तेखार अहमद, अनवार आलम, विनय कुमार, शहरबानो, सितारो बानो, फरीदा खातून, मनोज कुमार गुप्ता, अरवि‍ंद कुमार, नीरज व राजेश कुमार भी नामजद किए गये है।संतकबीरनगर में अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति योजना के तहत छात्रवृत्ति की राशि कथित छात्र/छात्राओं के खातों से निकालकर व्यक्तिगत खातों में जमा कराकर करोड़ों रुपये के सरकारी धन का गबन किये जाने तथा ‘हमारी बेटी उसका कल योजना’ के तहत फर्जी दस्तावेजों के जरिये घपला किये जाने की शिकायतें थीं।विजिलेंस की खुली जांच में सामने आया कि वर्ष 2014 से 2017 तक संतकबीरनगर के पूर्वांचल ग्रामीण बैंक में मदरसा बेगम वारिस अली एजूकेशन वेलफेयर सोसाइटी और मदरसा इस्लामियां के छात्र-छात्राओं के फर्जी खाते खोलकर छात्रवृत्ति हासिल की गई और फिर उस रकम को दूसरे खाते में ट्रांसफर कराया गया। खाता खोलते समय फार्म पर छात्र-छात्राओं के हस्ताक्षर व फोटो को बैंक अधिकारियों द्वारा प्रमाणित नहीं किया गया। मात्र प्रबंधक व प्रधानाचार्य द्वारा जारी प्रमाणपत्र के आधार पर खाते खोले गये।इस तरह छात्रवृत्ति योजना में 1.32 करोड़ रुपये से अधिक रकम हड़पी गई। ऐसे ही दोनों मदरसों ने ‘हमारी बेटी उसका कल योजना’ का लाभ पा चुकी छात्राओं का दोबारा नामांकन कर करीब 1.52 करोड़ रुपये हड़पे। घोटाले में तत्कालीन जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व उनके कनिष्ठ सहायक की मिलीभगत पाई गई, जिनके विरुद्ध भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर छानबीन शुरू की गई है।


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