सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को बड़ा झटका, उच्च अधिकारियों की गिरफ्तारी का रास्ता साफ, कोर्ट ने दिया यह बड़ा आदेश, जानिए पूरी जानकारी…..
नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को उत्तर प्रदेश सरकार की एक अपील खारिज करते हुए। राज्य के वित्त सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व को बहुत अहंकारी बताया और उनकी गिरफ्तारी का रास्ता साफ कर दिया।
जिनके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेशों के देरी से और आर्थिक अनुपालन के मामले में जमानती वारंट जारी किए थे। मामला इलाहाबाद में एक वसूली अमीन की सेवा नियमित करने और वेतन वृद्धि के भुगतान से जुड़ा है।
हाईकोर्ट ने 1 नवंबर को कहा था कि अधिकारी अदालत को खेल के मैदान की तरह ले रहे हैं। और उन्होंने उस व्यक्ति को वेतन वृद्धि देने से मना कर दिया जिसे पहले सेवाओं के नियमन के अधिकार से वंचित कर दिया गया था। हाईकोर्ट ने आदेश दिया था प्रतिवादियों (अधिकारियों) ने जानबूझकर इस अदालत को गुमराह किया है। और याचिकाकर्ता को वेतन वृद्धि नहीं देकर अतिरिक्त महाधिवक्ता द्वारा दिए गए हलपनामे की अवज्ञा की है। ऐसे में यह अदालत प्रतिवादियों के निंदनीय आचरण पर दुख और निराशा प्रकट करती है। और उसी अनुसार मानती है कि यह अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व और तत्कालीन जिलाधिकारी और इस समय सचिव वित्त उत्तर प्रदेश सरकार के रूप में पदस्थ संजय कुमार को 15 नवंबर को इस अदालत में पेश होने के लिए जमानती वारंट जारी करने का सही मामला है।
शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए देश की शीर्ष अदालत पहुँची राज्य सरकार:-
अपने शीर्ष अधिकारियों को गिरफ्तारी से बचाने के लिए देश की शीर्ष अदालत पहुँची राज्य सरकार को कोई राहत नहीं मिली और मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने कहा आप इसके ही काबिल है। इससे भी ज्यादा क्या पीठ में न्याय मूर्ति सूर्यकांत और न्याय मूर्ति सीमा कोहली भी शामिल है। पीठ ने कहा आप इस मामले में यहां क्या दलील दे रहे हैं? हाई कोर्ट को अब तक गिरफ्तारी का आदेश दे देना चाहिए था। हमें लगता है कि और अधिक कड़ी सजा दी जानी चाहिए थी। हाईकोर्ट ने आपके साथ उदारता बरती है।
अपने आचरण को देखिए आप एक कर्मचारी की वेतनवृद्धि रोक रहे हैं आपके मन में अदालत के प्रति तनिक सम्मान नहीं है। यह अतिरिक्त मुख्य सचिव बहुत अहंकारी जान पढ़ते हैं। अधिकारियों की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि याचिकाकर्ता भुवनेश्वर प्रसाद तिवारी की सेवा वसूली अमीन के रूप में नियमित कर दी गई है। और उनसे पहले नियमित किए गए उनके कनिष्ठा को हटा दिया गया है अब केवल वेतन वृद्धि के भुगतान का मामला शेष है। उन्होंने इस मामले में पीठ से नरम रुख अख्तियार करने का आग्रह किया नाराज दिख रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा यह सब रिकॉर्ड में है और हम ऐसा कुछ नहीं कहे रहे जो रिकॉर्ड में नहीं है। इसे देखिए अदालत के आदेश के बावजूद अतिरिक्त मुख्य सचिव कहते हैं कि मैं आई में छूट नहीं दूंगा।