प्रयागराज:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 अध्यापक भर्ती में रिक्त रह गए 6800 पदों पर ओबीसी अभ्यर्थियों की नियुक्ति करने के शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार को पूरे मामले में जानकारी मुहैया कराने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव जोशी ने प्रतीक मिश्र की याचिका पर अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी को सुनकर दिया।
अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि राज्य सरकार ने 16 मई 2020 को 69000 सहायक अध्यापक भर्ती का विज्ञापन जारी किया था। इसकी नियुक्ति प्रक्रिया पूरी होने के बाद शासन के संज्ञान में आया है कि आरक्षण लागू करने में गलती हुई है और अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी के 6800 पदों पर सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों का चयन कर लिया गया है। इस प्रशासन ने निर्णय लिया कि जिन सामान्य भर्तियों की ओबीसी की सीटों पर नियुक्ति कर ली गई है उन्हें निकाला नहीं जाएगा बल्कि उनकी जगह रिक्त पड़े पदों पर 6800 OBC अभ्यर्थियों की अलग से नियुक्ति कर दी जाएगी। इसे लेकर 5 जनवरी 2022 को शासनादेश भी जारी कर दिया गया।
याचिका में इस शासन आदेश को चुनौती देते हुए कहा गया कि विज्ञापन जारी किए बगैर नियुक्ति नहीं की जा सकती है। क्योंकि याची भी अर्ह अभ्यर्थी है और सहायक अध्यापक बनने की योग्यता रखते हैं। सरकार रिक्त पदों को विज्ञापन जारी किए बगैर और नियुक्ति प्रक्रिया अपनाएं बिना नहीं भर सकती और न ही इन रिक्त पदों को पुरानी भर्ती से जोड़ा जा सकता है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को पूरे मामले की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।