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एनसीईआरटी की किताबों में होगा बदलाव विद्यार्थी ‘इंडिया’ की जगह पढ़ेंगे ‘भारत’


एनसीईआरटी की किताबों में होगा बदलाव विद्यार्थी ‘इंडिया’ की जगह पढ़ेंगे ‘भारत’

समिति की सिफारिश, निदेशक बोले विशेषज्ञ समिति ही लेगी अंतिम निर्णय

जी-20 में भारत शब्द का पहली वार किया गया था प्रयोग

नई दिल्ली नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार हो रही स्कूलों की नई किताबों में आने वाले दिनों में इंडिया की जगह यदि भारत शब्द पढ़ने को मिले तो बिल्कुल चौकिएगा नहीं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति ने एनईपी के तहत स्कूलों के लिए तैयार की जा रही सभी किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। एनसीईआरटी ने इसकी पुष्टि नहीं की है और यह कहते हुए पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया है कि अभी पाठ्य पुस्तकों को तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। वैसे भी विषय वस्तु में बदलाव को लेकर कोई भी फैसला लेने का अधिकार सिर्फ विशेषज्ञ समिति के पास है।

एनसीईआरटी की किताबों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की चर्चा बुधवार को उस समय तेज हुई, जब पाठ्यक्रम तैयार करने से जुड़ी एक उच्चस्तरीय समिति के अध्यक्ष प्रोफेसर सीआइ इसाक ने मीडिया को बताया कि उनकी समिति ने एनसीईआरटी की सभी पाठ्य पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की सिफारिश की है। साथ ही प्राचीन इतिहास के स्थान पर शास्त्रीय इतिहास और सभी विषयों में भारतीय ज्ञान परंपरा को प्रमुखता से शामिल करने जैसे सुझाव भी दिए हैं। प्रोफेसर इसाक पद्मश्री से सम्मानित और प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। वह भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद में भी रहे हैं और दशकों तक संघ परिवार के संगठनों से जुड़े रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘भारत सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का प्रयोग विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जो 7,000 वर्ष पुराना है।’ इसाक ने कहा कि समिति ने विभिन्न युद्धों में हिंदुओं की जीत को भी रेखांकित करने की सिफारिश की है। पाठ्य पुस्तकों में अभी हमारी विफलताओं का उल्लेख किया गया है, लेकिन मुगलों और सुल्तानों पर हमारी जीत का नहीं अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों (प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक) में विभाजित किया था, जिसमें भारत को वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया था। इसलिए समिति ने सुझाव दिया है कि भारतीय इतिहास के शास्त्रीय काल को मध्य और आधुनिक काल के साथ-साथ स्कूलों में पढ़ाया जाए। एनसीईआरटी द्वारा गठित इस समिति में भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर, जेएनयू की प्रोफेसर वंदना मिश्र, शिक्षाविद वसंत शिंदे और समाजशास्त्र की शिक्षक ममता यादव भी शामिल हैं।

एनसीईआरटी के निदेशक प्रोफेसर दिनेश प्रसाद सकलानी ने बताया कि प्रोफेसर इसाक की अध्यक्षता वाली समिति का गठन स्कूली पाठ्यक्रम का फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए किया गया था। उस समय 24 और समितियां गठित की गई थीं। इन समितियों की सिफारिशों के आधार पर फ्रेमवर्क तैयार करने का काम पूरा हो गया है। अब इसी फ्रेमवर्क के आधार पर पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं, जिसके लिए विशेषज्ञ समिति काम कर रही है। ऐसे में पाठ्यक्रम में कौन सी विषयवस्तु शामिल की जा रही है या कौन सी हटाई जा रही है, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। शिक्षा मंत्रालय का दावा है कि एनईपी के तहत स्कूलों की नई पाठ्य पुस्तकें अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2024- 25 तक आ जाएंगी।

इंडिया के स्थान पर भारत नाम करने की खबर मात्र से ही विपक्षी दलों में इसको लेकर खलबली मच गई है। कई नेताओं ने इस पर एक्स पर पोस्ट कर अपनी तीखी प्रतिक्रिया जताई है। शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा कि भारत हो या इंडिया हम तो एक हैं और जल्दी ही आपको चलेगा कि 2024 में इंडिया जीतेगा और भारत भी। वहीं राजद के सांसद मनोज झा ने आलोचना करते हुए कहा है कि एनसीईआरटी यह कर रही है, अनुच्छेद एक का आप क्या करेंगे।

कहा, नई पुस्तकों को तैयार करने की चल रही प्रक्रिया

भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने का सुझाव

बच्चों को भारत और भारतीयता के रंग में रंगने की पहल

नई पुस्तकों में इंडिया की जगह भारत शब्द के इस्तेमाल की समिति की सिफारिश को कितनी तवज्जो मिलती है, यह भविष्य की बात की है, लेकिन स्कूलों के लिए जो नया फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, उसमें इस बात की पैरवी की गई है कि देश की नई पीढ़ी को भारत और भारतीयता से जोड़कर रखा जाए। इसके लिए उन्हें देश के उन सभी पहलुओं के बारे में किताबों के जरिये बताया और पढ़ाया जाए जिससे वे देश के बारे में अच्छी तरह से जान और समझ सकें। इसके लिए सभी विषयों की पाठ्य पुस्तकों में सभी उदाहरण भारतीय ही रखने के लिए कहा गया है। इसी फ्रेमवर्क के आधार पर नई पाठ्य पुस्तकें तैयार की जा रही हैं।

जी-20 बैठक से चर्चा में आया इंडिया की जगह भारत

इंडिया की जगह भारत करने का मामला सबसे पहले जी-20 के आयोजन के दौरान सामने आया था। जब जी-20 मेहमानों को राष्ट्रपति की ओर से दिए जाने वाले भोज के निमंत्रण पत्र में उन्हें प्रेसीडेंट आफ भारत के रूप में प्रस्तुत किया गया था। जबकि अंग्रेजी में उन्हें प्रेसीडेंट आफ इंडिया ही लिखा जाता था। इसे लेकर उस समय विपक्षी दलों ने आपत्ति भी जताई थी। जी-20 बैठक के दौरान ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नामपट्टिका में भी इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था।

7000 वर्ष पुराना शब्द है भारत संविधान के अनुच्छेद एक में देश को इंडिया और भारत दोनों नामों से पुकारा गया है

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