सरकारी कर्मियों पर दोहरी मार: महंगाई की उछाल, मगर नहीं बढ़ा ‘डीए’, अब GPF ब्याज दरों में भी इजाफा नहीं

त्योहारी सीजन दस्तक दे रहा है , लेकिन महंगाई के चलते केंद्र सरकार के कर्मियों पर दोहरी चोट हो रही है । एक तरफ रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी बढ़ा दिया गया है , तो दूसरी ओर पहली जुलाई से देय ‘ महंगाई भत्ता ‘ यानी डीए की दरें बढ़ाने की घोषणा नहीं हो सकी है ।

इन सबके परे , जीपीएफ और अन्य योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी नहीं की गई है । केंद्र सरकार ने वर्ष 2022-23 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं की कुल जमा रकमों पर दी जाने वाली ब्याज दर एक जुलाई 2022 से 30 सितंबर 2022 तक 7.1 फीसदी रखा है । यह दर एक जुलाई , 2022 से लागू होगी ।

नहीं मिला कोरोनाकाल के दौरान एरियर

केंद्रीय कर्मियों को साल में दो बार , जनवरी व जुलाई में डीए बढ़ोतरी की सौगात मिलती है । कोरोनाकाल में लंबे समय तक डीए में बढ़ोतरी नहीं हुई । गत वर्ष डीए की दरों को बढ़ाया गया , लेकिन डेढ़ वर्ष के एरियर को लेकर सरकार ने कोई आश्वासन नहीं दिया । इस साल डीए की दरों में वृद्धि की गई । केंद्र सरकार ने गत मार्च में ‘ महंगाई भत्ते में तीन फीसदी की वृद्धि की थी । इस बढ़ोतरी का फायदा 47 लाख कर्मचारियों और 68 लाख पेंशनभोगियों को हुआ था । तीन फीसदी की वृद्धि होने के बाद केंद्रीय कर्मियों का डीए 31 फीसदी से बढ़कर 34 फीसदी हो गया था । जुलाई से डीए में कितनी बढ़ोतरी होगी , यह घोषणा अभी तक नहीं हुई है ।

ब्याज की दर 7.9 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी

अब केंद्र सरकार ने छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले ब्याज की दरों में भी कोई वृद्धि नहीं की है । मौजूदा समय में जीपीएफ पर सालाना ब्याज दर 7.1 फीसदी रखी गई है । खास बात ये है कि सामान्य भविष्य निधि ( जीपीएफ ) पर मिलने वाले ब्याज की दरें गत जनवरी में भी 7.1 फीसदी थी । यानी एक जनवरी 2022 से लेकर 31 मार्च , 2022 तक ब्याज की दरें 7.1 फीसदी रखी गई । ये ब्याज दरें जीपीएफ के दायरे में आने वाले कर्मियों के साथ ही अन्य निधियों के अभिदाताओं की जमा राशि पर भी लागू होती हैं । केंद्र सरकार के कर्मियों को उम्मीद थी कि उन्हें अब बढ़ी हुई ब्याज दरों का तोहफा मिलेगा । लंबे समय से ब्याज दरों में कोई बढोतरी दर्ज नहीं की गई है । अप्रैल 2020 में केंद्र सरकार ने जीपीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर 7.9 फीसदी से घटाकर 7.1 फीसदी कर दी थी । तब से लेकर अब तक ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया है । इससे कर्मियों में रोष व्याप्त है ।

जीपीएफ में शेयर बढ़ा देते हैं कर्मचारी

यह ब्याज दर सामान्य भविष्य निधि ( केंद्रीय सेवाएं ) , अंशदायी भविष्य निधि ( भारत ) , अखिल भारतीय सेवा भविष्य निधि , राज्य रेलवे भविष्य निधि , सामान्य भविष्य निधि ( रक्षा सेवाएं ) , भारतीय आयुध विभाग भविष्य निधि , भारतीय आयुध कारखाना कामगार भविष्य निधि , भारतीय नौसेना गोदी कामगार भविष्य निधि , रक्षा सेवा अधिकारी भविष्य निधि और सशस्त्र बल कार्मिक भविष्य निधि पर लागू होगी । जीपीएफ में कर्मियों के मूल वेतन का कम से कम छह फीसदी हिस्सा कटता है । चूंकि इस राशि पर बैंकों के मुकाबले ब्याज अधिक मिलता है , इसलिए बहुत से कर्मचारी अपना शेयर बढ़ा देते हैं । जीपीएफ में ज्यादा वेतन इसलिए कटवाया जाता है , ताकि कर्मचारी अपनी बड़ी जरूरत के समय इसका इस्तेमाल कर सकें । कर्मचारी अपने जीपीएफ में से 90 फीसदी राशि निकाल सकते हैं । हालांकि इसे लेकर नियम – शर्तें बदलती रहती हैं । बच्चों की शिक्षा , शादी , घर बनाना या उसके लिए जायदाद खरीदना , मकान लेना है , पुश्तैनी मकान की रिपेयर करानी है और घर का लोन चुकाना है , जैसे कामों में जीपीएफ राशि काम आ जाती है । इसी वजह से कर्मचारी अपने मूल वेतन में से ज्यादा राशि जीपीएफ खाते में जमा कराते हैं ।


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