एपीके ऐप बनवा कर साइबर ठगी, एंड्रॉयड यूजर रखे ध्यान
लखनऊ। लखनऊ पश्चिम में तैनात एडीसीपी की पत्नी से ठगी करने वाले 10वीं फेल साइबर ठगों की गिरफ्तारी के साथ कई खुलासे हुए। आरोपितों ने प्रोग्रामर से एपीके फाइल (ऐप) तैयार कराई थी। जिसका मनचाहा नाम रखा जा सकता है। लोग आसानी से विश्वास कर लें। इसलिए ठगों ने पीएम आवास योजना और पीएम कुसुम योजना के नाम से ऐप बनवाई थी। प्रोग्रामर एक एपीके फाइल तैयार करने के बदले एक हजार रुपये लेता है। जिसमें एक से पांच एपीके फाइल सेण्ड की जाती है।
क्लिक करते ही डाउनलोड हो जाता है ऐप:
झारखण्ड का जामताड़ा साइबर ठगों का मेन हब है। धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए एक तकनीक एपीके फाइल (ऐप) भी है। साइबर एक्सपर्ट राहुल मिश्र ने बताया कि एपीके फाइल बनाने के लिए कोडिंग लैंग्वेज में विशेषज्ञ होना जरूरी है। साइबर ठगी में शामिल ज्यादातर अपराधी कम पढ़े लिखे होते हैं। उन्हें कोडिंग नहीं आती इसलिए प्रोग्रामर की मदद से ऐप तैयार कराई जाती है। राहुल बताते हैं कि व्हाट्सऐप के जरिए यह लिंक शेयर किए जाते हैं। चिह्नित व्यक्ति जैसे ही एपीके फाइल को डाउनलोड करता है। उसकी सारी डिटेल ठगों तक चली जाती है। प्रोग्रामर ऐप तैयार करने के साथ ही ठगों को बैंकएण्ड यूजर आईडी पासवर्ड भी देते हैं। जिसका इस्तेमाल कर ठग दूसरे के मोबाइल में लोड बैंकिंग एप या यूपीआई की मदद से रुपये ट्रांसफर करते हैं। साइबर विशेषज्ञ राहुल मिश्र ने बताया कि अधिकतर लोग किसी भी लिक से ऐप डाउनलोड कर लेते हैं। गूगल प्लेस्टोर से ही करना चाहिए। डाउनलोड करते वक्त कुछ अनुमति भी मांगी जाती है। जिसमें लोकेशन, गैलरी, कॉल की परमिशन ठग मांगते हैं। इसे देने से बचना चाहिए। इन परमिशन को ओके करते ही मोबाइल की सारी डिटेल एप डेवलपर या सर्वर पर आसानी से एक्सेस हो जाती है।
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