लखनऊ:- सीएम योगी ने आज लखनऊ में आयोजित रसोइयों और अनुदेशकों के सम्मेलन में उनके लिए बढ़े हुए मानदेय का ऐलान किया। इस मौके पर सीएम ने साल- 2017 से पहले और उसके बाद बेसिक शिक्षा विभाग में आए बदलावों का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि 2017 में बीजेपी की सरकार नहीं बनती तो यूपी में प्राइमरी स्कूल बंद हो जाते और आपकी सेवाएं स्वत: समाप्त हो जातीं।
पिछले साढ़े चार वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े सकारात्मक परिवर्तन आए हैं। ये परिवर्तन सबके सहयोग के बिना संभव नहीं थे। उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान निभाने के लिए रसोइयों और अनुदेशकों को आभार दिया।
सीएम योगी ने एक पुराने परिचित शिक्षक से जुड़ा किस्सा सुनाया
सम्मेलन में सीएम योगी ने एक पुराने परिचित शिक्षक से जुड़ा किस्सा सुनाया। सीएम ने कहा-‘उन शिक्षक से मेरा परिचय बहुत पुराना था। वह मुझसे मिलने आए थे। मैंने हाल-चाल पूछा तो कहने लगे कि मैं आपसे इसलिए मिलने आया हूं कि मेरे स्कूल में सिर्फ तीन बच्चे बचे हैं और अगले वर्ष उनमें से एक बच्चा पांचवीं पास करके चला जाएगा। बाकी दो बच्चों को भी अभिभावक पता नहीं भेजेंगे कि नहीं इसलिए मेरा कहीं दूसरी जगह ट्रांसफर हो जाता। मैंने कहा कि यदि छात्र संख्या घटते-घटते तीन तक पहुंच गई है तो आप कहीं और क्यों जाना चाहते हैं? आप कोशिश तो करिए। आप अपनी टीम को लेकर घर-घर जाइए। ऐसा माहौल बनाइए कि स्कूल को हम आगे बढ़ा सकें। लोगों के बीच स्कूल विकास का प्रतीक बन सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि उस शिक्षक ने सचमुच मेहनत की।
परिणामस्वरूप पहले साल में छात्र संख्या 45 हो गई और आज वहां साढ़े तीन सौ बच्चे पढ़ रहे हैं। टीम वर्क का परिणाम क्या होता है ये सबके सामने है।’ सीएम ने कहा कि याद करिए कि जब मैं प्रदेश के अलग-अलग जिलों के स्कूलों में गया था। तब तेजी से स्कूलों में छात्रों की संख्या घट रही थी। तब जुलाई 2017 में ‘स्कूल चलो अभियान’ शुरू किया गया। इस अभियान के जरिए प्रदेश के बच्चों को अधिक से अधिक संख्या में स्कूल में लाने की पहल की। हमने सबसे अपील की थी कि घर-घर जाकर एक-एक परिवार से सम्पर्क करें। परिणाम सार्थक रहा। पिछले 20-22 महीनों को छोड़ दें तो प्रदेश में साढ़े चार वर्ष के दौरान 54 लाख बच्चे बेसिक शिक्षा से जुड़े स्कूलों में पढ़े हैं। आप सोच सकते हैं कि यदि स्कूलों में बच्चों की कमी का यह सिलसिला जो 2017 के पहले था वो यदि यूं ही चलता रहता तो क्या होता?
सीएम ने कहा कि 54 लाख बच्चे बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में ऐसे ही नहीं पढ़े हैं। उसके पीछे शिक्षकों, रसोइयों और अच्छा और गर्म खाना खिलाने वाले रसोइयों का योगदान है। सबने सहयोग किया तो ये चीजें आगे बढ़ीं। ऑपरेशन कायाकल्प का उल्लेख करते हुए सीएम ने कहा कि इसके जरिए लोगों के सहयोग से हम स्कूलों का विकास कर रहे हैं। पुरातन छात्र परिषद के गठन की प्रक्रिया आगे बढ़ी। बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों से एक-एक विद्यालय घूमने को कहा। परिणाम स्वरूप 1.56 लाख विद्यालयों में से 1.30 लाख विद्यालयों का कायाकल्प हो गया। सीएम ने कहा कि 2017 के पहले 75 प्रतिशत बालिकाएं और 40 प्रतिशत बच्चे नंगे पैर विद्यालयों को जाते थे। यूनिफार्म सही नहीं थी। हमने बच्चों को दो अच्छी यूनिफार्म, बैग, स्वेटर, कॉपी-किताब के साथ जूता-मोजा भी देना शुरू किया। कोरोना काल में दिक्कत आई तो डायरेक्ट ट्रांसफर कर 11 सौ रुपए सीधे अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा। जो आरोप-प्रत्यारोप लगते थे वे बंद हो गए। सीएम ने बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया गया। रसोइयों को ग्राम प्रधान जबरन निकाल देते थे। उस पर रोक लगाई गई। उन्हें सुरक्षा कवर दिया गया।