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गोरखपुर विश्वविद्यालय से अब कर सकेंगे पार्ट टाइम पीएचडी, डिग्री कॉलेजों के स्नातक शिक्षक भी करा सकेंगे शोध


 गोरखपुर विश्वविद्यालय से अब कर सकेंगे पार्ट टाइम पीएचडी, डिग्री कॉलेजों के स्नातक शिक्षक भी करा सकेंगे शोध

 गोरखपुर:दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय व संबद्ध महाविद्यालयों से पार्ट टाइम पीएचडी भी की जा सकेगी। इसपर विद्या परिषद ने शनिवार को अपनी मुहर लगा दी है। पार्ट टाइम पीएचडी की पढ़ाई का मामला सोमवार को कार्य परिषद के समक्ष रखा जाएगा। इसमें भी मंजूरी मिलने की उम्मीद है। दूसरी तरफ विश्वविद्यालय से संबद्ध डिग्री कॉलेजों के स्नातक शिक्षकों को बड़ा तोहफा मिला है। अब शिक्षक सुपरवाइजर बनकर शोध करा सकेंगे।विश्वविद्यालय प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक रिसर्च डिग्री कमेटी (आरडीसी) ने शोध अध्यादेश में संशोधन के लिए अपना प्रस्ताव रखा था। इसपर विद्या परिषद की मुहर लग गई है। पार्ट टाइम पीएचडी के लिए अधिकतम आठ वर्ष की समयसीमा तय की गई है। न्यूनतम समयसीमा चार वर्ष है। पीएचडी के कोर्स वर्क के लिए अभ्यर्थी को अवकाश मिलेगा लेकिन पार्ट टाइम पीएचडी के शोधार्थी को स्कॉलरशिप नहीं मिलेगी। पार्ट टाइम पीएचडी के अभ्यर्थी को अपनी संस्था के एचओडी से नान ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) लेना होगा।

पीएचडी की चार सीटें आरक्षित

गोरखपुर विश्वविद्यालय और संबद्ध डिग्री के शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारियों के पाल्यों के लिए पीएचडी की चार सीटें आरक्षित रहेंगी। इसमें से दो सीट सामान्य, एक ओबीसी और एक एससी के लिए आरक्षित रहेगी।

विश्वविद्यालय से परास्नातक तो दो फीसदी वेटेज

गोरखपुर विश्वविद्यालय से परास्नातक की पढ़ाई पूरी करने वाले अभ्यर्थियों को पीएचडी में प्रवेश पर दो फीसदी वेटेज दिया जाएगा। ऐसा पहली बार होगा। इसी तरह नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट), ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट इन इंजीनियरिंग (गेट),  स्टेट लेवल एंट्रेंस टेस्ट (स्लेट) में सफल अभ्यर्थियों को पांच फीसदी का वेटेज मिलेगा।

JRF और CSIR को रेट से छूट

यूजीसी की जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंड्रस्टियल रिसर्च (सीएसआईआर) की परीक्षा पास करने वाले अभ्यर्थियों को विश्वविद्यालय की शोध पात्रता परीक्षा (रेट) से छूट दी गई है। दरअसल, 2016 में अध्यादेश में बदलाव कर इनके लिए भी परीक्षा अनिवार्य की गई थी जिससे बहुत सारे जेआरएफ अभ्यर्थियों ने दूसरे विश्वविद्यालयों में प्रवेश ले लिए थे।

 

महिला व विकलांग अभ्यर्थी को दो वर्ष की छूट

महिला अभ्यर्थी या विकलांग (40 फीसदी या इससे अधिक) को अधिकतम शोध समय में भी दो वर्ष की छूट दी जाएगी। यानी नियमित शोधार्थी को इस छूट के बाद अधिकतम आठ वर्ष का समय दिया जाएगा। महिला शोधार्थी को शोध अवधि के दौरान 240 दिन का प्रसव अवकाश व बच्चों की देखभाल के लिए छुट्टी मिल सकती है।

 

दोबारा पंजीकरण को मिलेगा मौका

अगर शोधार्थी तीन साल में जरूरी शोध कार्य पूरा नहीं कर पाए तो उन्हें दोबारा पंजीकरण का मौका मिलेगा। इसके लिए एक महीने का समय दिया जाएगा। लेकिन अधिकतम निर्धारित छह साल के मानक में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जाएगा।

यूजीसी के मानकों का पालन

शासन का निर्देश हैं कि यूजीसी की ओर से तय मानकों के आधार पर सभी महाविद्यालयों के परास्नातक व स्नातक विभागों के शिक्षकों से शोध निर्देशन कराया जाए। शिक्षक नियमित व पूर्णकालिक हों और पीएचडी किए हों। साथ ही उनके पांच शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हों, वे शोध निर्देशन कर सकेंगे। महाविद्यालयों के पर्यवेक्षक निकट के संस्थानों, महाविद्यालयों, रिसर्च एवं डेवलपमेंट प्रयोगशालाओं, विश्वविद्यालयों व अन्य संगठनों व शोध के लिए सहायक सुविधाओं का उपयोग अपने शोध को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं।

 

विश्वविद्यालय तय करेगा शोध पर्यवेक्षक

डिग्री कॉलेजों में स्नातक स्तर के शिक्षकों को शोध कराने की अनुमति दी गई है। लेकिन संबंधित डिग्री कॉलेज प्रबंधन को खासकर साइंस में लैब व लाइब्रेरी की बेहतर व्यवस्था बनानी होगी। यही नहीं गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शोध निर्धारण की प्रक्रिया विश्वविद्यालय ही पूरी कराएगा। राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों का स्थानांतरण होने पर शोध निर्देशन के लिए विश्वविद्यालय नीति तय करेेगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय में पीएचडी की एक हजार से 1200 सीटें हैं। जल्द ही पार्ट टाइम पीएचडी की सीटें भी तय हो जाएंगी।गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश सिंह ने बताया कि यूजीसी की गाइडलाइन के मुताबिक नया शोध अध्यादेश तैयार किया गया है। विश्वविद्यालय व डिग्री कॉलेज में पार्ट टाइम पीएचडी की पढ़ाई शुरू की गई है। फुल टाइम व पार्ट टाइम पीएचडी में समय को लेकर गड़बड़ी न हो इसका ख्याल रखा गया है। पार्ट टाइम पीएचडी में शोधार्थी को दो महीने का समर वैकेशन व 15 दिन का अर्नलीव देना होगा। सोमवार को कार्य परिषद में इन सभी बिंदुओं को रखा जाएगा।


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