लखनऊ:- मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने राज्य की सेवाओं में सृजित या उपलब्ध पदों को भरने के लिए ज्येष्ठता आधारित चयनों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि संचयी प्रभाव के साथ वेतन वृद्धि रोके जाने पर दंडादेश पारित होने के प्रथम तीन चयन वर्षों में पदोन्नति के लिए अनुपयुक्त माना जाएगा। अगर वेतन वृद्धि रोकने की अवधि भी अंकित की गई है तो उस अवधि में भी यह सुविधा नहीं मिलेगी। इसी तरह से निम्न पद, श्रेणी या वेतनमान में अवनति दिए जाने पर उस पद के कनिष्ठतम कार्मिक की पदोन्नति के बाद ही उसके नाम पर विचार किया जाएगा।मुख्य सचिव की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि पदोन्नति में वर्गीकरण किए जाने के सामान्य मार्गदर्शी सिद्धांत जारी न होने के कारण चयन समितियों द्वारा बिना किसी विशिष्ट कारण के भी एकरूपता नहीं रह पाती है।

पदोन्नति देते समय संपूर्ण सेवा अभिलेखों का संज्ञान लिया जाएगा। विशेष ध्यान पदोन्नति के पूर्व के पद या पदों की पांच वर्र्षों की वार्षिक गोपनीय प्रविष्टियों एवं अन्य सुसंगत सेवा अभिलेखों पर दिया जाएगा।लघु दंड पाने वाले कार्मिक को पहले एक वर्ष में पदोन्नति नहीं दी जाएगी। अगर कार्मिक को भिन्न प्रकरणों में दीर्घ या लघु दंड दिया गया है तो भिन्न-भिन्न दंडों का अलग-अलग प्रभाव माना जाएगा। अगर किसी कार्मिक को किसी दंडादेश या किसी अन्य प्रतिकूल तथ्य के मौजूद रहते हुए पदोन्नति दे दी गई है, तो इस प्रतिकूल तथ्य को अगली पदोन्नति के समय विचार में नहीं लिया जाएगा।किसी वर्ष विशेष की सत्यनिष्ठा अप्रमाणित, संदिग्ध या रोकी गई है तो संबंधित चयन वर्ष में उसकी पदोन्नति नहीं की जाएगी। 5 वर्ष की विचार की अवधि में 24 माह की प्रविष्टियां पूर्ण न होने पर चयन स्थगित किया जाएगा। निलंबन आदि के कारण प्रविष्टियों का अंकन संभव नहीं हो पाया है तो ऐसी अवधि को स्थगन के लिए संज्ञान में नहीं लिया जाएगा। चयन समितियों की बैठक बुलाए जाने से पूर्व विभागीय आरोप पत्र जारी कर दिए जाएं, अगर ऐसा करना प्रक्रिया के अधीन हो।


Leave a Reply