व्हाट्सएप उपयोगकर्ता निजता नीति मानने को बाध्य नहीं

शीर्ष कोर्ट ने कहा, याचिकाओं पर विचार की जरूरत नहीं

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को व्हाट्सएप से इस हलफनामे का मीडिया में व्यापक प्रचार करने को कहा कि उपयोगकर्ता उसकी 2021 की निजता नीति को मानने के लिए फिलहाल बाध्य नहीं हैं। इस बात पर गौर करते हुए कि सरकार बजट सत्र के दूसरे भाग में डाटा संरक्षण विधेयक पेश कर सकती है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा विचार है कि व्हाट्सएप की निजता नीति के खिलाफ दायर याचिकाओं पर फिलहाल विचार करने की जरूरत नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 11 अप्रैल को होगी।

जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार की सांविधानिक पीठ ने व्हाट्सएप को निर्देश दिया कि वह केंद्र सरकार को 2021 में दिए अपने उस हलफनामे को सार्वजनिक करे कि वह उसकी नई नीति पर सहमति नहीं जताने वाले यूजर्स यानी उपयोगकर्ताओं के लिए उपयोग की सीमा तय नहीं करेगा। शीर्ष अदालत कर्मण्य सिंह सरीन और श्रेया सेठी की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें व्हाट्सएप और उसकी मूल कंपनी फेसबुक के बीच उपयोगकर्ताओं के कॉल, तस्वीरें, संदेश, वीडियो और दस्तावेजों को उपलब्ध कराने के लिए हुए समझौते को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इससे लोगों की निजता और बोलने की आजादी का उल्लंघन हुआ है।

सार्वजनिक करें सरकार को दिया हलफनामा:

अखबारों में दें विज्ञापन

पीठ ने व्हाट्सएप से कहा, सरकार को दिए गए हलफनामे को सार्वजनिक करने के लिए पांच राष्ट्रीय अखबारों में पूरे पेज का व्हाट्सएप की ओर से सरकार को लिखे गए पत्र में अपनाए गए रुख पर संज्ञान ले रहे हैं। साथ ही व्हाट्सएप के वकील कपिल सिब्बल की दलीलों पर भी संज्ञान ले रहे हैं कि वह सुनवाई की अगली तारीख तक पत्र की शर्तों का पालन करेंगे। हम व्हाट्सएप को यह निर्देश भी देते हैं कि इस पहलू के बारे में पांच राष्ट्रीय अखबारों में दो बार व्हाट्सएप के उपयोगकर्ताओं को जानकारी दी जाए।

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