03 डिग्री दिन के तापमान में गिरावट हुई बारिश के कारण
18.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया अधिकतम तापमान
13 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया न्यूनतम पारा
लखनऊ:- पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर बने पश्चिमी विक्षोभ ने उत्तर प्रदेश समेत पूरे उत्तर भारत का मौसम बिगाड़ दिया है। बुधवार को छायी बदली ने गुरुवार की भोर से बरसना शुरू कर दिया। इससे दिन के तापमान में गिरावट आयी। ठण्ड के साथ गलन बढ़ गयी। इस बेमौसम की बरसात से आमजन जीवन अस्त व्यस्त हो गया। किसानों का हाल बुरा है। खेत में आलू, सब्जियों, सरसों, गेहूं आदि की फसलों के खराब होने का खतरा मंडरा रहा है। उधर इस ठण्ड से दिल, ब्ल प्रेशर, अस्थमा, शुगर के मरीजों की दिक्कतें बढ़ गयी हैं।
पश्चिमी विक्षोभ ने बिगाड़ा मौसम
पहली जनवरी से ही पाकिस्तान और अफगानिस्तान के ऊपर पश्चिमी विक्षोभ तैयार थे। इनका रुख जम्मू एवं कश्मीर की तरफ है। इसका असर उत्तर प्रदेश पर भी है। मौसम विभाग ने पहले ही गुरुवार से मौसम खराब होने की संभावना जतायी थी। गुरुवार की भोर से बरसात शुरू हो गयी थी। पूरे दिन राजधानी और आसपास के इलाकों में हल्की बारिश होती रही। गोसाईंगंज, सरोजिनीनगर में ओले गिरने भी सूचना मिली है।बरसात के कारण दिन के तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई। गुरुवार को अधिकतम तापमान 18.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। वहीं दिन में 11 बजे 14 डिग्री सेल्सियस, दिन में तीन बजे 16 डिग्री सेल्सियस और शाम पांच बजे 16 डिग्री सेल्सियस तापमान रहा।
अगले सात दिन खराब रहेगा मौसम
मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि यह पश्चिमी विक्षोभ ताकतवर है। अगले सात दिन मौसम ऐसा ही रहेगा। शुक्रवार और शनिवार को बदली के साथ बरसात होगी। इसके बाद बदली बरकरार रहेगी। फिर 11 और 12 दिसम्बर को बारिश की संभावना है। ठण्ड के साथ गलन बढ़ेगी। न्यूनतम तामपान में गिरावट नहीं होगी। यह 9से 11 डिग्री सेल्सियस तक बना रह सकता है। वहीं दिन का तापमान 18 से 21 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है।
जनजीवन अस्त-व्यस्त
बेमौसम की बदली और बरसात ने राजधानी के जनजीवन को अस्तव्यस्त कर दिया है। दिन भर हुई बूंदाबांदी के कारण लोग सड़कों पर भीगते रहे। बाजारों में भीड़ कम रही। लाटूश रोड, हीवेट रोड, कैसरबाग जैसे घने इलाकों में कहीं सीवर तो कही सड़कों की खुदायी के कारण बरसात से कीचड़ हो गया। दिन भर जाम लगा रहा।पिछले 24 घंटों में जिले में तीन मिमी बरसात रिकार्ड की गई। बरसात के कारण लोग घरों में कैद होने पर मजबूर हो गए। न्यूनतम दिन में पारा 13 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। पूरे दिन रुक-रुक कर बरसात के कारण हर कोई ठिठुर गया। बरसात से सड़कों और बाजारों में कीचड़ हो गया। लोगों का चलना मुश्किल हो गया।
अलाव जलते नहीं दिखे
जिला प्रशासन और नगर निगम की तरफ से सार्वजनिक स्थलों पर जलाये जाने वाले अलाव कहीं नहीं दिखे। इससे फुटपाथ पर जीवन जीने वाले गरीबों का ठंड से बचाव करने का सहारा भी छिन गया। शाम के समय तेज बरसात के कारण गलन इतनी बढ़ गई कि लोगों के हाथ पैर की उंगलियां तक सुन्न होने लगी। बरसात से लोग घरों में कैद रहे। गरीबों और फुटपाथ किनारे जीवन बिताने वालों के लिए कड़ाके की ठंड के बीच बरसात मुसीबत बन गई।
अगले सात दिन मौसम
07 जनवरी : बदली और तीन-चार बार बरसात
08 जनवरी : बदली और तीन- चार बार बरसात
09 जनवरी : बदली और तीन- चार बार बरसात
10 जनवरी : बदली और तीन- चार बार बरसात
11 जनवरी : बादलों की आवाजाही, बूंदाबांदी की संभावना
12 जनवरी : बादलों की आवाजाही, बूंदाबांदी की संभावना
गेहूं को फायदा तो सरसों, आलू, मसूर को नुकसान
हिन्दुस्तान टीम लखनऊ। अधिक ठंड और बरसात से पाले की खतरा बढ़ गया है। ऐसे में फसलों को नुकसान की संभावना जताई गई है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार पाला से कई फसलों को नुकसान होगा जबकि अत्यधिक ठंड गेहूं के लिए लाभदायक होगी। सरसों, मसूर, आलू, बैगन, फूल गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर जैसी फसलों को पाला से नुकसान होने की संभावना है। पाला लगने से आलू के पौधों को गल जाने की संभावना रहती है। वहीं चना, मसूर फसल बर्बाद हो सकता है लेकिन गेहूं फसल को ठंडे तापमान की जरूरत होती है। इसलिए इस मौसम से गेहूं को फायदा पहुंचेगा।
कैसे फसलों को प्रभावित करता है पाला
सर्दी के दिनों में जब दिन का तापमान भी कम रहे और रात का तापमान एकदम से उतरने लगे, साथ ही कोहरा भी छाया रहे तो इस तरह की मिश्रित अति भीषण ठंड का असर नाजुक पौधों पर जल्द होता है। तुषार में पौधा एकदम से ठंडा होकर फ्रिज की जमी बर्फ की तरह हो जाता है जिसमें तना समेत पत्तियां भी सूख जाती हैं।
इन फसलों को नुकसान से बचाने के लिए ये करें उपाय
सरसों : सरसों की फसल यदि फ्लॉवरिंग स्टेज पर है और इस स्थिति में पाला पड़ता है तो पौधे मृत प्राय: हो जाएंगे। इसके लिए जरूरी है कि सरसों के खेतों में पानी की सिंचाई कर दें। जिससे पाला पड़ने के आसार मिट जाएंगे।
गेहूं : गेहूं की फसल यदि एक-एक फीट तक की हो गई हो तो विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है। क्योंकि इस समय पौधे कोमल होते हैं, जो रात की तेज ठंड सहन नहीं कर पाएंगे। उसके लिए खेत के पास धुआं करें।
चना : इस समय चना की फसल अभी बढ़ रही है। जिस पर पाला पड़ने से घेंटी में दाना नहीं बनेगा। इस समस्या से बचने के लिए चना के खेतों के पास धुआं करें, जिससे पाले के आसार नहीं रहेंगे जहां मटर क्यारी बनाकर मेड़नुमा ऊंचाई पर बोई हों, उनकी नालियों में हल्का पानी लगाएं। इससे पाला नहीं पड़ेगा।
आलू, बैंगन, टमाटर
टमाटर के पौधों के पास धुआं करें, जिससे उस पर पाला पड़ने के आसार नहीं रहते। इसके अलावा इस मौसम में आलू, बैंगन की फसल भी प्रभावित हो सकती है। इसके लिए टमाटर की तरह ही उपाय करें।