लड़का-लड़की के बजाय छात्र शब्द का करें प्रयोग

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एनसीईआरटी ने तैयार किया मसौदा

नई दिल्ली। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने कहा कि स्कूलों में लड़के या लड़की के संबोधन के बजाय छात्र या ‘बच्चों’ जैसे लिंग समावेशी भाषा या शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। जब हम किसी छात्र को लड़के या लड़की के नाम से संबोधित करते हैं तो अनजाने में ही ट्रांसजेंडर छात्रों के साथ शुरुआत में ही भेदभाव हो जाता है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के तहत एनसीईआरटी ने ट्रांसजेंडर को लेकर स्कूलों में उपयोग के लिए दिशा-निर्देश का मसौदा तैयार किया है। इसमें राज्यों, शिक्षकों, स्कूल प्रबंधन के लिए अलग-अलग सुझाव व दिशा-निर्देश हैं। इस मसौदे के माध्यम से एनसीईआरटी विशेषज्ञों की टीम ने लिंग निरपेक्षता चाहिए। पर जोर दिया है। इसके अलावा संबोधन या नाम पुकराने में अभद्र भाषा और शब्दों के प्रयोग करने पर रोक लगाने का भी निर्देश दिया है।

एनसीईआरटी के जेंडर स्ट्डीज विभाग की ओर से गठित 16 सदस्यीय समिति ने ‘स्कूली प्रक्रियाओं में ट्रांसजेंडर की चिंता का संयोजन’ शीर्षक से मसौदा तैयार किया है। इसमें लिखा है कि आम बच्चों की तरह ट्रांसजेंडर बच्चों को भी समाज में अच्छी शिक्षा का अधिकार है। इसलिए उन्हें भी बिना किसी भेदभाव के शिक्षा मिलनी चाहिए।

इसमें कहा गया है कि सभी ह आवेदन पत्रों एवं सभी तरह के दि पाठ्यक्रमों के प्रमाणपत्रों में प ट्रांसजेंडर श्रेणी को शामिल किया क जाए। उनके लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान करने के साथ ही स्वास्थ्य व देखरेख पर विशेष ध्यान दिया जाए। ट्रांसजेंडर श्रेणी के छात्रों की मदद के लिए प्रशिक्षित काउंसलर तैनात किए जाएं। उन्हें स्थानीय और राष्ट्रीय आपात हेल्पलाइन नंबर की जानकारी भी दी जाए।

स्वतंत्रता दिवस पर ट्रांसजेंडर से तिरंगा फहराने की सिफारिश:

ट्रांसजेंडर वर्ग के छात्रों को आगे बढ़ाने के लिए आम छात्रों, शिक्षकों और समाज में जागरुकता जरूरी है। इसलिए स्वतंत्रता दिवस जैसे कार्यक्रम में तिरंगा फहराने के लिए ट्रांसजेंडर को आमंत्रित किया जाना चाहिए। ट्रांसजेंडर दिवस मनाने का भी सुझाव दिया गया है।


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