UPPSC:  एपीएस भर्ती के विवाद में फंसेगा नया विज्ञापन


आयोग को काफी पहले मिल चुका है ढाई सौ पदों का अधियाचन




पाठ्यक्रम संशोधन का प्रस्ताव अटका, कई नए विवाद भी आए सामने:-

अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती के विवाद में नया विज्ञापन फंसेगा। उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएसी) ने पाठ्यक्रम संशोधन का प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे मंजूरी मिलने का इंतजार है।इसी बीच एपीएस भर्ती-2010 और एपीएस भर्ती-2013 को लेकर विवाद हो गया। ऐसे में अगर शासन ने पाठ्यक्रम संशोधन को मंजूरी मिलती है तो अन्य विवादों के कारण आयोग के लिए नई भर्ती का विज्ञापन जारी कर पाना मुश्किल होगा। वहीं, अभ्यर्थी लगातार मांग कर रहे हैं कि नई भर्ती का विज्ञापन शीघ्र जारी किया जाएगा।एपीएस भर्ती-2010 मामले में सीबीआई की ओर से आयोग के पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। आरोप है कि इस भर्ती में शॉर्ट हैंड में गलती पर अतिरिक्त छूट देकर कुछ अभ्यर्थियों को अनावश्यक रूप से फायदा पहुंचाया गया।एफआईआर दर्ज होने के बाद आयोग ने एपीएस भर्ती-2013 के तहत दो चरणों की परीक्षा निरस्त कर दी, क्योंकि इस भर्ती में भी कुछ अभ्यर्थियों को शॉर्ट हैंड में गलती पर अतिरिक्त छूट का लाभ दिया गया। हालांकि आयोग ने यह परीक्षा आठ साल बाद निरस्त की, जब इस भर्ती के तहत आखिरी चरण की कंप्यूटर ज्ञान परीक्षा बाकी रह गई थी। आयोग ने परीक्षा निरस्त करते हुए संशोधित विज्ञापन भी जारी कर दिया है।इस बीच आठ साल से भर्ती पूरी होने का इंतजार कर रहे तमाम अभ्यर्थी अब ओवरएज होने की दहलीज पर हैं। ये अभ्यर्थी मांग कर रहे हैं कि आयोग नई भर्ती का विज्ञापन शीघ्र जारी करे। अगर नई भर्ती का विज्ञापन जारी होने में देर हुई तो ओवरएज होने वाले तमाम अभ्यर्थियों के लिए भविष्य के रास्ते बंद हो जाएंगे।आयोग को तकरीबन ढाई सौ पदों का अधियाचन मिल चुका है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का आरोप है कि आयोग की लापरवाही के कारण एपीएस भर्ती के अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर लगा है। प्रशांत ने आयोग के अध्यक्ष से मांग की है कि स्थिति पूरी तरह से स्पष्ट की जाए और नई भर्ती शीघ्र शुरू की जाए।


Leave a Reply