यूपीपीएससी: माइनस मार्किंग, सफलता के मानक पर आयोग ने नहीं दिया जवाब

प्रयागराज:-उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) भर्ती परीक्षाओं में माइनस मार्किंग और सफलता के मानक से संबंधित निर्णय पर जवाब देने को तैयार नहीं है। एक अभ्यर्थी की ओर सूचना के अधिकार के तहत पूछे गए सवाल में आयोग की ओर से कहा गया कि ये निर्णय आयोग की आंतरिक व्यवस्था का भाग हैं, इसलिए निर्णयों की प्रति नहीं दी जा सकती। इस मुद्दे पर प्रतियोगी छात्रों ने यूपीपीएससी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। आयोग ने वर्ष 2019 से अपनी भर्ती परीक्षाओं में माइनस मार्किंग लागू की थी। साथ ही इसी वर्ष प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा में सफलता के मानक भी बदल दिए थे। पहले प्रारंभिक परीक्षा में पदों की संख्या के मुकाबले 18 गुना और मुख्य परीक्षा में तीन गुना अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया जाता था।

वर्ष 2019 में इस मानक को घटाकर क्रमश: 13 गुना और दो गुना कर दिया गया और जब इस व्यवस्था का व्यापक पैमाने पर विरोध हुआ तो दो साल बाद आयोग ने इस बढ़ाकर क्रमश: 15 और तीन गुना कर दिया।एक अभ्यर्थी ने सूचना के अधिकार के तहत आयोग से माइनस मार्किंग लागू किए जाने और सफलता के मानक बार-बार बदले जाने से संबंधित निर्णय की प्रति मांगी थी, जिसके जवाब में जन सूचना अधिकारी सुनीता गौतम की ओर से कहा गया है कि ये निर्णय आयोग की आंतरिक व्यवस्था का भाग हैं, इसलिए निर्णय की प्रति दिया जाना अनुमन्य नहीं है। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी प्रशांत पांडेय का कहना है कि ये दोनों ही निर्णय लाखों छात्रों के भविष्य से जुड़े हुए हैं। ऐसे में निर्णय की प्रति उपलब्ध न कराना आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है।


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