प्रयागराज: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की परीक्षाओं की जांच कर रही सीबीआई की कार्रवाई मुकदमे तक ही सीमित रह गई है। सीबीआई जांच को साढ़े तीन साल से अधिक समय बीत चुके हैं और अब तक किसी के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यूपी के विधानसभा चुनाव करीब हैं और सीबीआई पर दबाव बढ़ता जा रहा कि भर्ती में धांधली को लेकर कोई बड़ी कार्रवाई करे।सीबीआई आयोग की उन परीक्षाओं की जांच कर रही है, जिनके परिणाम अप्रैल 2012 से मार्च 2018 के बीच जारी किए गए। वहीं, अपर निजी सचिव (एपीएस) भर्ती-2010 की जांच के लिए सीबीआई ने सरकार से विशेष अनुमति ली थी। सीबीआई आयोग की 605 परीक्षाओं की जांच कर रही है अब और तक तकरीबन दस हजार प्रतियोगी छात्रों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं। भर्ती में धांधली के साक्ष्य मिलने के बाद सीबीआई ने पीसीएस-2015 और एपीएस-2010 के मामले में एफआईआर भी दर्ज की थी, लेकिन कार्रवाई इससे आगे नहीं बढ़ सकी। पीसीएस-2015 में धांधली के सुबूत मिलने पर सीबीआई ने आयोग के अज्ञात अफसरों और बाहरी अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। वहीं, एपीएस-2010 के मामले में सीबीआई ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रभुनाथ के साथ आयोग के कुछ अज्ञात अफसरों/कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। दोनों ही मामलों में किसी के खिलाफ कोई सीधी कार्रवाई नहीं हो सकी।सूत्रों का कहना है कि विधानसभा चुनाव करीब हैं और सीबीआई कोई बड़ी कार्रवाई कर सकती है। वहीं, प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का आरोप है कि सीबीआई सिर्फ कोरम पूरा कर रही है। जांच को साढ़े तीन साल बीत चुके हैं और अब तक कुछ नहीं हुआ।


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