प्रयागराज:- पीसीएस -2019 और पीसीएस -2020 की प्रारंभिक परीक्षाओं में 38 सवाल गलत पूछे गए थे । उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ( यूपीपीएससी ) की ओर से उत्तर कुंजी जारी किए जाने के बाद इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। प्रदेश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में इतने बड़े पैमाने पर हुई गड़बड़ी के बाद अभ्यर्थी भड़के हुए हैं और आयोग के विशेषज्ञों की योग्यता पर ही सवाल उठा रहे हैं। आयोग की ओर जारी संशोधित उत्तर कुंजी के अनुसार पीसीएस-2019 और पीसीएस-2020 की प्रारंभिक परीक्षाओं में 38 सवाल पूछे गए थे, जिनके उत्तर संशोधित उत्तर कुंजी में बदले गए या पूरा सवाल ही हटा दिया गया।

आयोग ने पीसीएस -2019 की प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र दो प्रश्नों के उत्तर बदले हैं और आठ प्रश्न डिलीट यानी हटा दिए हैं । वहीं, द्वितीय प्रश्नपत्र में पांच सवालों को डिलीट करने के साथ पांच प्रश्नों के उत्तर भी बदले गए। पीसीएस -2020 की प्रारंभिक परीक्षा के प्रथम प्रश्नपत्र में पांच प्रश्न डिलीट किए जाने के साथ सात प्रश्नों के उत्तर बदले गए हैं और द्वितीय प्रश्नपत्र में तीन सवाल डिलीट किए गए है और तीन के उत्तर बदले गए हैं। प्रदेश के सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा में इतने अधिक संख्या में सवाल गलत होने पर आयोग के विशेषज्ञों का पैनल ही सवालों के घेरे में है । अभ्यर्थियों का कहना है कि यह परीक्षा के साथ खिलवाड़ है। वे इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदारी तय किए जाने और कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं ।

संशोधित उत्तरकुंजी से संतुष्ट नहीं अभ्यर्थी, जाएंगे कोर्ट

पीसीएस -2019 और पीसीएस -2020 की संशोधित उत्तरकुंजी से अभ्यर्थी संतुष्ट नहीं है। उन्हें आपत्तियों के निस्तारण पर भी आपत्ति है। अभ्यर्थी अब न्यायालय जाने की तैयारी कर रहे हैं। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि आयोग ने परीक्षा के तीन साल बाद उत्तरकुंजी जारी की और उत्तरकुंजी भी तब जारी की गई जब अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में पहुंचे। अवनीश का आरोप है कि आयोग अपनी गलतियों को छिपाना चाहता है और इसी वजह से संशोधित उत्तरकुंजी जारी करने में देर की गई।


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