यूपी बोर्ड यूं ही नहीं कहलाता है एशिया का सबसे बड़ा बोर्ड, जानें इसके पीछे का कारण

लखनऊ:-यूपी बोर्ड एशिया का सबसे बड़ा बोर्ड यूं ही नहीं कहलाता। यूपी में इंटमीडिएट में जितने विद्यार्थी फेल हो गए हैं उतने आईसीएसई बोर्ड के दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में भी नहीं बैठते। यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट परीक्षा में तीन लाख से ज्यादा छात्र फेल हुए हैं। जबकि 2021 में देश भर में आईसीएसई व आईएससी (10वीं व 12वीं) में 2,92,136 विद्यार्थियों ने ही दसवीं व बारहवीं की परीक्षा पास की थी। वहीं सीबीएसई बोर्ड के देश और बाहर विदेशों में भी स्कूल हैं उसके भी विद्यार्थियों की संख्या यूपी बोर्ड से कम है। पिछले वर्ष सीबीएसई के दसवीं के 2097128 और 12वीं के 13.4 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा पास की थी।

ये संख्या भी यूपी बोर्ड से कम है यानी यूपी बोर्ड के कुल 41.31 लाख बच्चों ने इस वर्ष परीक्षा फतेह की है। यूपी में आईसीएसई के 78,690 विद्यार्थी हैं तो सीबीएसई के विद्यार्थी दो लाख से ज्यादा हैं। अगर स्कूलों की बात करें तो यूपी में इन बोर्डों की तुलना में यूपी बोर्ड के स्कूल भी ज्यादा है। यूपी में सीबीएसई के 4121 स्कूल हैं तो आईसीएसई के लगभग 393 स्कूल हैं वहीं यूपी बोर्ड के सरकारी, निजी व एडेड मिलाकर 27942 स्कूल हैं यानी कुल 32456 स्कूल हैं। लेकिन अगर सीबीएसई बोर्ड के देशभर व विदेशों में खुले स्कूलों की संख्या भी जोड़ दें तो केन्द्रीय, सरकारी व निजी मिलाकर 27133 ही स्कूल हैं। आईसीएसई के देश-विदेश में ढाई हजार स्कूल ही हैं।


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