स्कूलों के पास तंबाकू दुकान से बच्चों में लत का खतरा

उत्पाद कैंसर गंभीर बीमारियों के कारण बनते हैं। इससे देश में लगभग 13 लाख लोगों जान जाती है ।

शिक्षण संस्थानों के पास मौजूद तंबाकू उत्पाद बेचने वाली दुकानें कोटपा 2003 के लागू होने के बावजूद उपलब्ध हैं । इस कानून में तंबाकू से संबंधित विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया गया है लेकिन कंपनियां कानून की खामियों और इसके तहत मिली छूट का दुरुपयोग करती हैं । तंबाकू इस्तेमाल नहीं करने वाले लोग और बच्चे इन दुकानों पर जाते और उन्हें इसकी लत लगने का खतरा होता है । यह कहना है स्वास्थ्य लोक वरिष्ठ डॉक्टर चंद्रकांत लहरिया का वह दिल्ली में तंबाकू निषेध दिवस कार्यक्रम पर आयोजित ‘तंबाकू फ्री इंडिया’ के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे । उन्होंने कहा कि प्वाइंट ऑफ सेल पर तंबाकू उत्पादों के प्रदर्शन की छूट तंबाकू महामारी को आमंत्रित करने जैसा है ।

उन्होंने कोविड -19 के मद्देनजर लोगों के स्वास्थ्य पर तंबाकू के खतरे के बारे में सरकार का ध्यान आकर्षित किया है । उन्होंने विभिन्न अध्ययनों का हवाला देते हुए बताया कि कैसे तंबाकू का इस्तेमाल करने वाले लोग महामारी के दौरान घातक संक्रमण की चपेट में आ गए । एम्स दिल्ली के रुमेटोलॉजी विभाग की अध्यक्ष डॉ . उमा कुमार कहा कि सिगरेट और गुटखा जैसे उत्पाद बनाने वाली तंबाकू कंपनियां किशोरों और बच्चों को विशेष रूप निशाना बना रही हैं । वे अपने विज्ञापनों को स्कूल कॉलेजों पास प्रमुखता से प्रदर्शित करती हैं। ताकि इन संवेदनशील दिमागों को प्रभावित किया जा सके । इन्हें पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए । उन्होंने जोर देकर कहा कि युवाओं को बचाना बहुत जरूरी है ।

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पैसिव स्मोकिंग के खतरों से भी आगाह किया

कार्यक्रम में पैसिव स्मोकिंग के खतरों से भी आगाह किया गया । एम्स दिल्ली विभाग की अध्यक्ष डॉ . उमा कुमार ने कहा कि कि इसका सबसे ज्यादा खतरा महिलाओं और बच्चों को होता है । उन्होंने कहा कि धूम्रपान वाले इलाके को खत्म करना स्वास्थ्य की दिशा में अच्छा कदम साबित हो सकता है साथ ही भारत के सार्वजनिक स्थलों को 100 प्रतिशत धूम्रपान मुक्त बना सकता । इस दौरान अंतरराष्ट्रीय पहलवान संग्राम सिंह ने भी युवाओं से तंबाकू उत्पाद छोड़ने की अपील की ।


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