बहुत देर कर दी: पांच साल से मांग रहे थे तबादला, तेरहवीं हो गई तब आया आदेश

प्रयागराज:-सैकड़ों मरीजों की जान बचाने वाले एक डॉक्टर की गुहार शासन के आगे नक्कारखाने में तूती की आवाज साबित हुई । लिवर की बीमारी की वजह से पिछले पांच साल से तबादला मांग रहे इस चिकित्सक को जीते – जी अफसरों की टालमटोल और बहानेबाजी के अलावा कुछ नहीं मिल सका । लेकिन , उनकी तेरहवीं हो जाने के अगले दिन शासन ने शुक्रवार को उनका तबादला चित्रकूट से प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय कर दिया ।

दिवंगत हो चुके वरिष्ठ परामर्शदाता को यहां सर्जन के पद पर तैनाती की गई है । मौत के बाद मनचाही जगह के लिए आया यह तबादला आदेश उनकी पत्नी और दो मासूम बच्चों के दिल पर किसी वज्रपात सरीखा है । इस आदेश की प्रति मिलने के बाद परिवार वालों की आंखों के आंसू नहीं थम रहे । मूलरूप से कानपुर के घाटमपुर निवासी डॉ . दीपेंद्र की तैनाती 11 वर्ष पहले चित्रकूट के संयुक्त जिला चिकित्सालय में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर हुई थी ।

लिवर संक्रमण से 17 जून को हो गई थी मौत

डॉ . दीपेंद्र सिंह की मौत लिवर संक्रमण से बीते 17 जून 2022 को हो चुकी है । डॉ . दीपेंद्र चाहते थे कि उनका तबादला प्रयागराज हो जाए , ताकि वह अपने परिवार वालों की निगरानी में ड्यूटी के साथ – साथ अपना उपचार करा सकें । इसके लिए वह अफसरों की परिक्रमा कर रहे थे , लेकिन चिट्ठियों की फाइलें मोटी होती गईं । पत्थरदिल व्यवस्था के आगे उनको जूझने और इंतजार करने के अलावा कुछ भी हासिल नहीं हो सका ।

सूची में पहले क्रमांक पर ही अंकित है नाम

बृहस्पतिवार को अल्लापुर स्थित आवास पर उनकी तेरहवीं हुईं । इसके दूसरे दिन शुक्रवार की शाम मोती लाल नेहरू मंडलीय ( काल्विन ) अस्पताल में वरिष्ठ परामर्शदाता सर्जन के पद पर जब शासन की ओर से उनका तबादला आदेश जारी हुआ तो परिजन , मित्र और शुभेच्छु सभी स्तब्ध रह गए । चिकित्सा सचिव रवींद्र की ओर से जारी तबादला आदेश में डॉ . दीपेंद्र की प्रयागराज में नवीन तैनाती का आदेश प्रथम क्रमांक पर ही अंकित है । उनकी पत्नी डॉ . आभा सिंह ने को बताया कि वह पति की जान बचाने के लिए पांच साल से शासन को पत्र लिखकर उनके तबादले के लिए आग्रह करती रहीं । इस दौरान उन्होंने कई पत्र लिखे , लेकिन किसी ने नहीं सुनी । अब तबादला होना सरकारी वज्रपात सरीखा है ।

डॉक्टर्स डे पर तबादले का आदेश आघात से कम नहीं

तेरहवीं के दूसरे दिन ही मनचाही जगह के लिए डॉ . दीपेंद्र का तबादला उनके सहपाठियों और सहयोगी चिकित्सकों को भी अखर रहा है । इसलिए भी कि उनकी मौत के बाद यह तबादला आदेश डॉक्टर्स डे पर जारी हुआ है । तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय में तैनात उनके सहकर्मी डॉ . जीसी पटेलु कहते हैं कि मौत के बाद यह आदेश उनके परिवार वालों , परिचितों के लिए किसी आघात सरीखा है । सवाल यह भी है कि डॉक्टर की मौत की सूचना स्वास्थ्य एवं चिकित्सा विभाग के महानिदेशक महानिदेशक को 17 जून को ही दी जा चुकी है ।

“भाई साहब का जब तबादला नहीं हुआ तो हम लोगों ने ऐच्छिक सेवानिवृत्ति ( वीआरएस ) की मांग तक की थी , लेकिन वह भी नहीं दी गई । जब वक्त था , तब शासन ने तबादला किया न ही वीआरएस दिया । आज तबादला आदेश देखकर हमारे पास कुछ भी कहने के लिए शब्द नहीं हैं । इतना जरूर है कि अगर समय रहते उनका तबादला प्रयागराज के लिए हो जाता तो हम लोग और बेहतर इलाज करा सकते थे , उनकी जान बचाई जा सकती थी । – हेमेंद्र सिंह , डॉ . दीपेंद्र सिंह के भाई


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