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72825 शिक्षक भर्ती: बेरोजगारों के 290 करोड़ वापस करने की प्रक्रिया फिर शुरू


72825 शिक्षक भर्ती: बेरोजगारों के 290 करोड़ वापस करने की प्रक्रिया फिर शुरू

प्रयागराज:- वर्ष 2012 में 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती के लिए दोबारा आवेदन करने वाले बेरोजगारों से आवेदन शुल्क के रूप में लिए गए 290 करोड़ रुपये वापस करने की कवायद फिर तेज हो गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव प्रताप सिंह बघेल ने सूबे के सभी डायट प्राचार्यों और बीएसए को पत्र भेजकर अभ्यर्थियों के आवेदन शुल्क वापस करने का निर्देश दिया है। इसके लिए 31 जुलाई तक बीएसए कार्यालय में आवेदन उपलब्ध कराने को कहा गया है। यह आवेदन उन्हीं अभ्यर्थियों को करना होगा जिन्होंने 22 दिसंबर 2018 तक आवेदन नहीं किया था।

सचिव की ओर से जारी पत्र के अनुसार अभ्यर्थियों की ओर से शुल्क वापसी के लिए उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों का मिलान एक्सेल डेटा से होने के बाद 16 दिसंबर 2018 से 22 दिसंबर 2018 तक फीस वापसी के लिए प्राप्त वैध आवेदन पत्रों के आधार पर अंतिम सूची तैयार की जाएगी। जो कि परिषद कार्यालय को इस आशय से उपलब्ध कराई जाएगी कि जनपद में शुल्क वापसी के लिए कितनी धनराशि की जरूरत है। बसपा सरकार में पहली बार नवंबर 2011 में टीईटी मेरिट पर 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन लिए गए थे। भर्ती में गड़बड़ी को लेकर फरवरी 2012 में तत्कालीन माध्यमिक शिक्षा निदेशक संजय मोहन को गिरफ्तार कर लिया गया था। उसके बाद सत्ता में आई समाजवादी पार्टी ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करते हुए टीईटी की जांच कराई और टीईटी मेरिट की बजाय एकेडमिक मेरिट के आधार पर भर्ती करने का निर्णय लिया।

इसके लिए पांच दिसंबर 2012 से डायटों के माध्यम से आवेदन मांगे गए। अभ्यर्थियों को प्रत्येक जिले के लिए 500-500 रुपये फीस चुकानी पड़ी। जिन अभ्यर्थियों ने सभी 75 जिलों का विकल्प दिया उन्हें 37500 रुपये फीस देनी पड़ी। हालांकि टीईटी मेरिट और एकेडमिक रिकॉर्ड का विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2011 में पहली बार टीईटी मेरिट के आधार पर लिए गए आवेदन को ही मान्य किया। अब डायटों के माध्यम से दोबारा आवेदन करने वालों की फीस वापसी की कवायद शुरू हुई है।


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