जांच में अक्सर पकड़ा जाता है फर्जीवाड़ा।

परिषदीय स्कूलों में घुसपैठ की कोशिशें ज्यादा।

लखनऊ । फर्जी शिक्षकों के गिरोह का शिक्षा विभाग में बेसिक से लेकर माध्यमिक तक जाल फैला है । जाली दस्तावेजों से नौकरी पाने या प्रयास किए जाने के मामले अक्सर सामने आते रहते हैं । राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तो आयोग से नियुक्ति शुरू होने के बाद फर्जीवाड़ा रोकने के लिए सख्ती भी बड़े पैमाने पर की गई है । इसके बावजूद फर्जीवाड़ा करने वाला गिरोह सेंधमारी करने से बाज नहीं आ रहा ।

शिक्षक विद्यालयों में कार्यभार तक ग्रहण कर ले रहे हैं । वैसे सबसे ज्यादा फर्जीवाड़े की शिकायतें बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों से आती हैं । हालिया उदाहरण लें तो एसटीएफ ने कुछ समय पहले प्रदेश के विभिन्न जिलों में फर्जी प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी करने वाले 228 शिक्षकों की पहचान की थी । इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे । सभी जिलों में एफआईआर कराने की प्रक्रिया अभी कुछ दिन पहले तक जारी रही है । ढिलाई होने पर एसटीएफ ने पत्र तक लिखा था ।

इसी तरह कुछ समय पहले औरैया के पूर्व बीएसए फर्जी अभिलेखों के आधार पर प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक पदों पर नियम विरुद्ध चयन किए जाने के आरोपी हैं । प्रारंभिक जांच में दोषी पाए जाने के बाद उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्यवाही की जा रही है । उधर , माध्यमिक शिक्षा में बात करें तो बीते कुछ वर्ष पहले राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के फर्जी दस्तावेज पकड़े गए थे । लखनऊ समेत प्रदेश के अधिकांश मंडलों ऐसे फर्जी दस्तावेज लगाने वालों पर एफआईआर कराई गई थी । इधर , झांसी में एक साथ पांच शिक्षकों के कार्यभार ग्रहण करने का मामला बहुत दिन बाद बड़ा पकड़ा गया है ।


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