कैबिनेट फैसला: यूपी में 30 जून तक हो सकेंगे शिक्षकों के तबादले
प्रयागराजः राज्य सरकार ने वर्ष 2023-24 के लिए नई तबादला नीति को मंजूरी दे दी है। विभागीय मंत्री की अनुमति से विभागाध्यक्ष 30 जून तक तबादले कर सकेंगे। सभी वर्गों के अधिकारियों व कर्मचारियों के 10 व अधिकतम 20 फीसदी तक तबादले किए जा सकेंगे। जिले में तीन साल और मंडल में सात साल तक तैनात रहने वाले इसके दायरे में आएंगे। इस नीति से प्रदेश के लगभग 15 लाख अधिकारी-कर्मचारी प्रभावित होंगे।
समूह ‘ख’ व ‘ग’ के कर्मचारियों का तबादला ऑनलाइन “
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में नई तबादला नीति को मंजूरी दी गई। प्रदेश के लाखों अधिकारियों व कर्मचारियों को इस नीति के आने का काफी समय से इंतजार था। समूह ‘ख’ व ‘ग’ के कर्मियों का तबादला यथासंभव मेरिट बेस्ड ऑनलाइन ट्रांसफर सिस्टम के आधार पर किया जाएगा। पटल परिवर्तन की व्यवस्था पिछले साल की तरह इस साल भी लागू रहेगी। तबादला नीति उत्तर प्रदेश सचिवालय सेवा के अधिकारियों और कर्मियों पर लागू नहीं होगी। पदोन्नति पाकर तैनाती पाने वाले अधिकारी व कर्मचारी भी इसके दायरे में आएंगे।
सौ आकांक्षी विकास खंड शामिल
प्रदेश के आठ आकांक्षी जिलों व बुंदेलखंड के साथ प्रदेश के 100 आकांक्षी विकास खंडों को भी इसके दायरे में लाया गया है। यहां से अधिकारियों व कर्मचारियों को इसी शर्त पर स्थानांतरित किया जाएगा, जब उनके स्थान पर कोई आने वाला होगा। उसके कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही यहां से अधिकारियों व कर्मियों को कार्यमुक्त किया जाएगा। मान्यता प्राप्त संघ व एसोसिएशन के अध्यक्ष व सचिव का दो साल तक तबादला पूर्व की तरह नहीं किया जाएगा, लेकिन भ्रष्टाचार में शामिल होने या फिर इस तरह का कोई आरोप लगाने पर इन्हें स्थानांतरित किया जा सकेगा।
कट ऑफ तिथि 31 मार्च
तबादले के लिए तीन साल और सात साल की गिनती के लिए कटऑफ तिथि 31 मार्च रखी गई है। स्थानांतरण सत्र समाप्त होने के बाद समूह ‘क’ व ‘ख’ के कर्मियों का तबादला पूर्व की भांति मुख्यमंत्री से अनुमति के बाद ही किया जा सकेगा। समूह ‘ग’ व ‘घ’ के कर्मियों का तबादला विभागीय मंत्री की अनुमति पर ही किया जा सकेगा।
चलने-फिरने में लाचार बच्चों के अभिभावकों को राहत
राज्य सरकार ने निशक्तता के दायरे में चलने-फिरने में लाचार बच्चों के अभिभावकों को भी शामिल किया है। अभी तक केवल मंद बुद्धि वाले बच्चे के अभिभावक ही दायरे में आते थे। चलने-फिरने में 40 फीसदी तक लाचार बच्चों के अभिभावकों को उनके मनपंसद जिलों में तैनाती दी जाएगी। इसके लिए शर्त यह होगी कि उस जिले के सरकारी अस्पताल में ऐसे बच्चों के इलाज की व्यवस्था हो ।
समूह ‘घ’ वालों को भी गृह जिले में तैनाती की सुविधा
राज्य सरकार पहले सेवानिवृत्ति के दो साल बचने वाले समूह ‘ग’ के कर्मियों को उनके गृह जिले में तैनाती की सुविधा देती थी। अब समूह ‘घ’ वालों को इसके दायरे में लाया गया है। ऐसे समूह ‘क’ व ‘ख’ सेवा वर्ग के अधिकारियों को उनके गृह जनपद को छोड़ते हुए मनचाहे जिलों में तैनाती देने पर विचार किया जा सकेगा।