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“हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, शिक्षिकाओं को दो साल के अंदर दोबारा मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार”


“हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, शिक्षिकाओं को दो साल के अंदर दोबारा मातृत्व अवकाश लेने का अधिकार”

प्रयागराज:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित विद्यालयों में कार्यरत अध्यापिकाओं को दो साल के भीतर दोबारा मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन करने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि बेसिक शिक्षा परिषद पर मैटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान लागू होंगे, न की फाइनेंसियल हैंड बुक के प्रावधान, जो कार्यकारी प्रकृति के हैं। कोर्ट ने कहा कि मैटरनिटी एक्ट को संसद द्वारा संविधान के प्रावधानों के तहत पारित किया गया है इसलिए मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे।

यह आदेश न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने अनुपम यादव सहित दर्जनों अध्यापिकाओं की याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया। मामले में अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी सहित अन्य वकीलों का कहना था कि याची ने चार जनवरी 2021 को अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। उसके लिए उसने 180 दिनों के मातृत्व अवकाश का आवेदन किया, जो मंजूर कर दिया गया। इसके बाद याची दोबारा गर्भवती हुई तो उसने 17 जून 2022 को पुनः मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया।

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी इटावा ने यह कहते हुए याची का आवेदन निरस्त कर दिया कि पहले मातृत्व अवकाश के बाद दूसरा मातृत्व अवकाश लेने के लिए आवश्यक दो वर्ष की समयसीमा पूरी नहीं हुई है। याची की ओर से कई न्यायिक निर्णयों का हवाला देकर के कहा गया बेसिक शिक्षा अधिकारी ने याची का आवेदन बिना किसी आधार के निरस्त करके गलत आदेश किया है।

दूसरी ओर बेसिक शिक्षा परिषद के अधिवक्ता का कहना था कि बीएसए का आदेश सही है। मैटरनिटी एक्ट 1961 के प्रावधान बेसिक शिक्षा परिषद पर लागू नहीं होंगे। बेसिक शिक्षा परिषद के अध्यापकों पर अवकाश के संबंध में फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान लागू माने जाएंगे, जिसके तहत यह आवश्यक है कि दो मातृत्व अवकाश के बीच कम से कम दो वर्ष का अंतराल हो । कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि मैटरनिटी एक्ट के प्रावधान फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधानों पर प्रभावी होंगे। कोर्ट ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 15(3) के प्रावधानों को लागू करने के लिए मैटरनिटी एक्ट 1961 लाया गया है। यह संसद द्वारा पारित कानून है जबकि फाइनेंशियल हैंडबुक के प्रावधान सिर्फ एक कार्यकारी निर्देश हैं। कार्यकारी निर्देशों पर संवैधानिक प्रावधान प्रभावी होंगे। राज्य सरकार पहले ही मैटरनिटी एक्ट 1961 स्वीकार कर चुकी है। कोर्ट ने बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा दोबारा मातृत्व अवकाश का आवेदन निरस्त करने का आदेश रद्द करते हुए याची के आवेदन पर नए सिरे से निर्णय लेने का आदेश दिया।

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