बच्चे अधिक और मास्साब एक, आखिर कैसे हो पढ़ाई
कानपुर देहात: कक्षा एक से लेकर पांच व उससे अधिक कक्षा के बच्चे, लेकिन शिक्षक एक। ऐसे में पढ़ाई किस तरह से होती है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। यह हकीकत जिले के करीब 50 फीसद विद्यालयों की है। कहीं एक शिक्षक तो कहीं दो शिक्षक तो कहीं शिक्षामित्र ही पूरे विद्यालय का भार उठाए हैं। बच्चों की पढ़ाई का बौद्धिक स्तर उस हिसाब से नहीं हो पा रहा जिस तरह से होना चाहिए। कहीं प्रशिक्षण हो या फिर कोई बैठक शिक्षक वहां गया तो पढ़ाई बंद और अगर नहीं गया तो कोई जरूरी बात या नवाचार से वह वंचित। वहीं स्थिति को जानते हुए भी अभिभावक मौन साधे रहते हैं और बच्चों की शिक्षा के प्रति सजग होकर उचित जगह आवाज नहीं उठाते।
झींझक क्षेत्र के विद्यालयों का हाल
झींझक ब्लाक के कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी के चलते ही कही बच्चे क्लास में खेलते नजर आए। तीन कक्षाओं के छात्रों को एक ही कक्षा में अकेले शिक्षक पढ़ाते दिखे। प्राथमिक विद्यालय लालपुर में तैनात दो शिक्षकों में हेडमास्टर छुट्टी पर थे। एक से लेकर पांच तक 63 बच्चे पंजीकृत है 36 बच्चे उपस्थित थे। सहायक अध्यापक दूसरी कक्षा में गए तो एक कक्षा में बच्चे धमाचौकड़ी मचाने लगे। सहायक अध्यापक अखिलेश कुमार ने बताया कि हेडमास्टर राजाबाबू चार अप्रैल से चिकित्सीय अवकाश पर हैं, अकेले ही स्कूल में हैं। जूनियर शाहपुर में कक्षा छह से आठ तक 48 बच्चे पंजीकृत है जिसमें 23 उपस्थित थे, यहां एक वर्ष से तैनात मात्र एक शिक्षक पढ़ाई कराते हैं। सभी को एक जगह बैठाकर छह से आठ तक की पढ़ाई होती है। शिक्षक पंकज गुप्ता का कहना है कि एक वर्ष से अकेले ही स्कूल में है। जूनियर स्कूल लगरथा में शिक्षक सुभाष यादव दो वर्ष से अकेले विद्यालय चला रहे है प्रशिक्षण व अन्य स्कूल के कामों पर जाना मुश्किल होता है।