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यूपी सरकार के समर्थन में आया राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, पुरानी पेंशन बहाली को बताया सपा का चुनावी स्टंट, 07 बिंदुओं के मांगपत्र का ज्ञापन भी सौंपा


यूपी सरकार के समर्थन में आया राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद, पुरानी पेंशन बहाली को बताया सपा का चुनावी स्टंट मांग पत्र में शामिल 07 बिंदु

लखनऊ:-चुनावी घोषणाओं में पुरानी पेंशन बहाली को शामिल कर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कर्मचारियों को अपने पाले में खींचने का प्रयास किया है। लेकिन राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद इस मुद्दे को समाजवादी पार्टी का चुनावी स्टंट बताते हुए सरकार के समर्थन में जा खड़ा हुआ है। परिषद के अध्यक्ष जे एन तिवारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिले प्रतिनिधिमंडल ने तमाम मुद्दों पर चर्चा की चर्चा में सात सूत्री मांग पत्र भी सौंपा। साथ ही योगी जी को आश्वस्त किया कि कर्मचारी उनकी सरकार से संतुष्ट हैं और किसी के बहकावे में आने वाले नहीं हैं सीएम ने मांग पत्र पर गंभीरता से विचार करने का आश्वासन दिया है।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के 4 सदस्य प्रतिनिधि मंडल ने रविवार को अध्यक्ष जे एन तिवारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास में मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल में परिषद के महामंत्री रेनू मिश्रा फूड एंड सिविल सप्लाई इंस्पेक्टर ऑफिसर एसोसिएशन की वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रीति पांडेय और आशा हेल्थ वर्कर एसोसिएशन की प्रदेश अध्यक्ष कुसुम लता यादव भी शामिल थी। तिवारी ने कर्मचारियों की पिछली मांगों पर निर्णय के लिए योगी सरकार का आभार व्यक्त किया है साथ ही सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा है।

जे एन तिवारी के मुताबिक सीएम योगी ने मांग पत्र पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है। योगी सरकार ने परिषद से अपनी उपलब्धियां गिनाई। कर्मचारियों के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा, सचिवालय कर्मियों का सचिवालय भत्ता बहाल करने, बेसिक शिक्षा पुलिस विभाग सहकारिता आदि विभागों में लाखों रिक्तियों भर ने आशा बहुओं को मानदेय बढ़ाने सहित अब तक के कुछ निर्णयों का उल्लेख करते हुए आश्वस्त किया है कि आने वाले समय में भी सरकार कर्मचारियों के हित में बड़े निर्णय करती रहेगी।

वहीं संयुक्त परिषद के अध्यक्ष ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से कहा कि प्रदेश का कर्मचारी सरकार के कार्यों से संतुष्ट है। चुनाव से ठीक पहले सपा प्रमुख द्वारा पुरानी पेंशन के मुद्दे को उछाला जाना एक चुनावी स्टंट है। उन्होंने कहा कि जिस समय पुरानी पेंशन बंद कर नई पेंशन लागू की गई थी उस समय प्रदेश में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी। 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव मुख्यमंत्री रहे अपने मुख्यमंत्री काल में उन्होंने पुरानी पेंशन बहाली नहीं की, तब आंदोलन किए जाने पर कर्मचारियों से कहा था कि पुरानी पेंशन का मामला केंद्र सरकार का मुद्दा है तिवारी ने सवाल उठाया कि अब अचानक विधानसभा चुनाव से पहले पुरानी पेंशन का मुद्दा राज्य का कैसे बन गया इसको कर्मचारी समझ रहा है और वह किसी के बहकावे में नहीं आने वाला है।

मांग पत्र के प्रमुख 7 बिंदु

नई पेंशन योजना में जीपीएफ की सुविधा मिले, नई निकासी पर आयकर की छूट दी जाए।

वेतन आयोग के गठन के साथ एनपीएस में भी संशोधन हो, योजना के कर्मचारियों को महंगाई से राहत दी जाए।

आउट सोर्स कर्मचारियों का नियंत्रण सीधे विभागाध्यक्ष के आधीन हो, उन्हें 60 वर्ष तक सेवा संरक्षण दिया जाए।

अर्हता धारक एवं नियमित पदों के विरुद्ध नियुक्त संविदा कर्मचारियों को योजना बनाकर चरणबद्ध तरीके से नियमित किया जाए।

आशा बहुओं को न्यूनतम मानदेय न्यूनतम मूल वेतन के बराबर मिले।

नगर प्रतिकर भत्ता का भुगतान हो।

मुख्य सचिव समिति के माध्यम से वेतन विसंगतियों पर निर्णय कराया जाए,कर्मचारियों की अधिवर्षता आयु 62 वर्ष की जाए।


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