महीने भर में लाखों युवाओं के हाथों में होंगे नए स्मार्टफोन

सरकार स्मार्टफोन व टैबलेट खरीद पर रख रही पैनी निगाह

949 करोड़ रुपये से खरीदे जाएंगे 9.5 लाख स्मार्टफोन

लखनऊ। प्रदेश में स्वामी विवेकानंद युवा सशक्तिकरण योजना के तहत 25 लाख स्मार्टफोन और टैबलेट बांटे जाने हैं। इसे लेकर प्रदेश सरकार बेहद गंभीर है। समय से एक-एक पीस की आपूर्ति के लिए चार कंपनियों की सप्लाई का समय तय किया गया है। अगले एक महीने में 9.5 लाख स्मार्टफोन सप्लाई करने के लिए 949 करोड़ रुपये दिए गए हैं।

सरकार स्मार्टफोन व टैबलेट की खरीद प्रक्रिया पर पैनी निगाह रख रही है। जेम पोर्टल के बाद भी अलग से बात कर कीमतें कम कराई गई हैं। स्मार्टफोन की खरीद के लिए जैम पोर्टल से चार कंपनियों को चुना गया। विजन डिस्ट्रीब्यूशन, सेलकॉन इम्पैक्स और एनएफ इंफ्राटेक सर्विसेज सैमसंग स्मार्टफोन को सप्लाई करेंगी एक स्मार्टफोन की कीमत 9,972 रुपये है। इन कंपनियों को क्रमशः 7,84,314 लाख, 6,86,275 लाख और 5,88,235 लाख स्मार्टफोन की सप्लाई करनी है। जबकि इंस्टेंट प्रोक्योरमेंट सर्विसेज प्रा. लि. लावा के 4,41,176 लाख फोन सप्लाई करेगी। इस तरह चारों कंपनियों को 25 लाख स्मार्टफोन सप्लाई देने का टैंडर जारी किया गया है।

इन कंपनियों को कांट्रैक्ट मिलने के एक महीने में 15 फीसदी यानी 3,75,000 स्मार्टफोन की आपूर्ति का जिम्मा दिया गया था। इसके लिए 371 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। नोडल एजेंसी यूपीडेस्को ने इस धनराशि का इस्तेमाल कर लिया है। चारों कंपनियों ने 6 अक्टूबर तक 3.90 लाख स्मार्टफोन की

आपूर्ति कर दी। इसके एवज में करीब 374 करोड़ का भुगतान किया गया। हालांकि लगभग तीन करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। अब अगले एक महीने में चारों कंपनियों को 9.5 लाख स्मार्टफोन सप्लाई करने हैं। इस पर करीब 918 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

वहीं, यूपीडेस्को ने इस काम में प्रशासकीय खर्च के रूप में 7.5 करोड़ रुपये की मांग की है। इसके अतिरिक्त 6 से 16 अक्तूबर के बीच सप्लाई किए गए फोन का करीब 23.35 करोड़ रुपये बकाया है। विद्यार्थियों को जल्द से जल्द स्मार्टफोन मिले, शासन ने इस कार्य को प्राथमिकता पर रखते हुए 949 करोड़ रुपये की स्वीकृति दे दी है।

उधर, टैबलेट खरीद की प्रक्रिया भी तेज हो गई है। अरबों रुपये की खरीद में पैनी निगाह का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि टैबलेट खरीद में दो कंपनियों ने एक ही रेट की बिड डाल दी थी। बिल्कुल एक ही कीमत की बिड डालने पर आशंकाओं को देखते हुए और पारदर्शिता बरतने के लिए दोबारा बिड मांगी गई और पूरी प्रक्रिया को अंतिम रूप दिया गया।

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