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कोविड-19 के मृतक वारिसों की नौकरी के शासनादेश पर जवाब मांगा


कोविड 19 के मृतक वारिसों की नौकरी के शासनादेश पर जवाब मांगा

प्रयागराज:- इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोरोना काल में कोविड 19 के मृतकों के वारिसों की नौकरी के शासनादेश को चुनौती देने वाली याचिका पर राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला एवं न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने की याचिका पर अधिवक्ता सुनील चौधरी को सुनकर दिया है।एडवोकेट सुनील चौधरी ने कोर्ट को बताया कि पिछड़ी जाति की याची के पति की कोविड 19 से मृत्यु हो गई थी।

सरकार ने कोरोना काल में कोविड 19 के मृतकों के वारिसों के लिए 58189 वैकेंसी निकाली। इसमें याची की ओर से आवेदन करने पर डीएम प्रयागराज की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कमेटी की संस्तुति पर याची की नियुक्ति की गई और एक महीने 10 दिन काम करने के बाद जिला पंचायतराज अधिकारी ने यह कहकर याची की नियुक्ति कैंसिल कर दी कि शासनादेश के क्रम में ग्राम पंचायत लौदखुर्द में ग्राम प्रधान की अनारक्षित सीट पर केवल सामान्य जाति को ही नियुक्ति दी जा सकती है। 27 जुलाई 2021 के शासनादेश के पैरा 13 में कहा गया है कि सामान्य श्रेणी की ग्राम पंचायतों में कोविड 19 की वजह से हुई मृत्यु का लाभ सामान्य श्रेणी के परिवार को ही दिया जाएगा। अधिवक्ता सुनील चौधरी ने यह भी बताया कि शासनादेश में पिछड़ी व अन्य जाति के लिए कोविड से मृतक वारिसों के लिए कोई प्रावधान नहीं है जबकि ग्राम लौदखुर्द में सामान्य सीट पर पिछड़ी जाति का प्रधान है। ऐसे में शासनादेश अवैध है और संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार के विपरीत है।


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