सूरत और सीरत दोनों बदली तो सरकारी स्कूलों में पढ़े विद्यार्थी, निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों की पढ़ाई बेहतर

लखनऊ;- सरकारी स्कूलों की चमचमाती सूरत और सीरत दोनों का असर दिखने लगा है। पिछले सत्र के मुकाबले इस बार छह लाख विद्यार्थी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में बढ़ गए हैं। पिछले शैक्षिक सत्र में 1.73 करोड़ बच्चे सरकारी प्राइमरी व जूनियर स्कूलों में थे, ये संख्या इस बार बढ़ कर 1.79 करोड़ तक पहुंच चुकी है।

स्कूल चलो अभियान का दूसर चक्र सोमवार से शुरू हुआ है। यह संख्या अभी और बढ़ने की संभावना है क्योंकि यह अभियान 15 जुलाई तक चलना है। स्कूलों की सूरत सुधारने का अभियान ऑपरेशन कायाकल्प के साथ शुरू हुआ। इसकी शुरुआत 2018 से हुई है और इस अभियान के तहत स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं को जोड़ा गया ताकि वे निजी स्कूलों से टक्कर ले सकें। स्कूलों में टाइल्स, पेंटिंग, ब्लैकबोर्ड, बाउंड्रीवाल, पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। इसके सभी 19 मानकों को मार्च, 2023 तक पूरा किया जाना है।सीरत की पुष्टि राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे (एनएएस) 2021 की रिपेार्ट से होती है। इस रिपोर्ट में यूपी के सरकारी स्कूलों का प्रदर्शन निजी स्कूलों से बेहतर है। कक्षा 8 की गणित में सरकारी स्कूलों के 32 फीसदी बच्चे दक्षता के स्तर पर हैं तो निजी स्कूलों के 23 फीसदी बच्चे ही इस स्तर तक पहुंच पाए हैं। विज्ञान में भी सरकारी स्कूलों के 25 फीसदी के मुकाबले निजी स्कूलों के 21 फीसदी ही इस स्तर पर पहुंचे। सरकारी स्कूलों के 23 फीसदी विद्यार्थी सामजिक विज्ञान में दक्ष हैं तो निजी स्कूलों के 14 फीसदी विद्यार्थी ही इस स्तर पर पहुंच पाए हैं। यह सिर्फ कक्षा आठ की बात है, कक्षा पांच व तीन में भी कमोबेश इसी तरह के नतीजे हैं।

वर्ष सरकारी स्कूलों का पंजीकरण

2017-18 1.54 करोड़
2018-19 1.59 करोड़
2019-20 1.60 करोड़
2020-21 1.67 करोड़
2021-22 1.73 करोड़
2022-23 1.79 करोड़ (प्रवेश जारी)


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