29 वर्ष से संविदा कर्मचारी के नियमितीकरण पर विचार का आदेश सही

प्रयागराज:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला विकास भवन जौनपुर में 29 वर्षों से जनरेटर ऑपरेटर इलेक्ट्रीशियन के रूप में संविदा पर कार्यरत कर्मचारी को नियमित करने के मामले में एकल पीठ के फैसले को सही ठहराते हुए उस पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि एकल पीठ के फैसले में कोई ग़लती नहीं है। एकल पीठ ने जिस फैसले के आधार पर याचिका स्वीकार कर याची को नियमित करने पर विचार करने का निर्देश दिया है, सरकार ने उस फैसले के विरुद्ध अपील नहीं की। साथ ही यह भी स्पष्ट नहीं कर सके कि याची केंद्र या राज्य सरकार की किस योजना या प्रोजेक्ट में पिछले 29 साल से कार्यरत है।यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर एवं न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने एकल पीठ के फैसले के विरुद्ध राज्य सरकार की विशेष अपील खारिज करते हुए दिया है। मामले के तथ्यों के अनुसार चंद्रमणि ने सेवा नियमित करने की मांग में याचिका की।

कोर्ट ने याची को नियमित करने से इनकार करने के डीएम जौनपुर आदेश को रद्द कर दिया और याची के मामले में विचार करने का निर्देश दिया था।एकल पीठ ने कहा कि किसी से 29 वर्षों तक फिक्स वेतन पर काम नहीं लिया जा सकता। सरकार कर्मचारी का शोषण नहीं कर सकती इसलिए याची की सेवा नियमित करने पर विचार किया जाए। सरकार का कहना था कि याची की नियुक्ति किसी पद के विरुद्ध नहीं की गई। वह प्रोजेक्ट के तहत वर्कचार्ज कर्मचारी के तौर पर तय वेतन पर नियुक्त है इसलिए 2016 की नियमावली उसके मामले में लागू नहीं होगी।कोर्ट ने 1992 से जनरेटर ऑपरेटर इलेक्ट्रीशियन का काम देख रहे याची को नियमित करने का निर्देश दिया था, जिसे अपील में चुनौती दी गई थी। सरकार का कहना था कि याची के वेतन का कोई बजट नहीं है।किसी पद के विरुद्ध नियुक्ति नहीं है। रेंटल आय से उसे भुगतान किया जाता है।


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