एससी-एसटी को पदोन्नति में आरक्षण देने के पिछले फैसलों में तय किए गए पैमाने हल्के नहीं होंगी-सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व के अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। राज्य sc-st प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डाटा एकत्र करने के लिए बाध्य है।

नई दिल्ली:- सरकारी नौकरियों में एससी एसटी को पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए कहा है कि पिछले फैसलों से तय किए गए आरक्षण के पैमाने हल्के नहीं होंगे। केंद्र और राज्य अपनी अपनी सेवाओं में एससी/एसटी के लिए आरक्षण के अनुपात में समुचित प्रतिनिधित्व को लेकर तय समय अवधि पर रिव्यू जरूर करेंगे। प्रतिनिधित्व की पर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है इस मामले में अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।

जस्टिस एल नागेश्वर राव जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस बीआर गवई की बेंच ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि हमने माना है कि हम प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकते। राज्य sc-st प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डाटा एकत्र करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने कहा है कि एक निश्चित अवधि के बाद प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है। यह समीक्षा अवधि केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता को निर्धारित करने के लिए अदालत कोई मानदंड निर्धारित नहीं कर सकती। राज्य अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के प्रतिनिधित्व के संबंध में मात्रात्मक डाटा एकत्र करने के लिए बाध्य है। कैडर आधारित रिक्तियों के आधार पर आरक्षण पर डाटा एकत्र किया जाना चाहिए। राज्यों को आरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से समीक्षा करनी चाहिए। केंद्र सरकार समीक्षा की अवधि निर्धारित करेगी।


Leave a Reply