रेपो रेट में लगातार पांचवीं बार वृद्धि, ईएमआई और बढ़ेगी अर्थव्यवस्था को लेकर रिजर्व बैंक के अनुमान

नई दिल्ली:-रिजर्व बैंक ने महंगाई से मुकाबले के लिए बुधवार को नीतिगत दर रेपो रेट को 0.35 और बढ़ाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया। केंद्रीय बैंक ने लगातार पांचवीं बार इस दर को बढ़ाया है। इससे आवास और वाहन समेत सभी तरह का कर्ज महंगा हो जाएगा। लोगों को ज्यादा ईएमआई भरनी होगी।

महंगाई अभी भी लक्ष्य के ऊपर रिजर्व बैंक ने द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा है कि महंगाई अभी भी लक्ष्य के ऊपर बनी हुई है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी की वृद्धि दर के अनुमान को सात से घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है।पांच बार में 2.25 की वृद्धि बढ़त के बावजूद रेपो रेट में वृद्धि की रफ्तार पिछली चार बार की वृद्धि के मुकाबले कम रही और विशेषज्ञों के अनुमान के मुताबिक ही रही है।

मुद्रास्फीति को काबू में लाना मकसद:

आरबीआई ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए रेपो रेट में वृद्धि का सिलसिला मई 2022 से शुरू किया। तब रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी की गई थी। इसके अगले महीने जून में फिर ब्याज दरों में 0.50 फीसदी का इजाफा किया गया। अगस्त में 0.50 फीसदी की वृद्धि देखने को मिली, जबकि सितंबर में भी केंद्रीय बैंक ने 0.50 बढ़ाया था।

क्या होता है रेपो रेट:

रेपो रेट वह ब्याज दर है, जिस पर बैंक अपनी फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। इसमें वृद्धि का सीधा अर्थ होता है कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों से लिया जाने वाला कर्ज महंगा हो जाएगा। मौजूदा कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ जाएगी। रेपो रेट में इस बढ़त के साथ स्थायी जमा सुविधा यानी एसडीएफ दर समायोजित होकर छह प्रतिशत और बैंक दर 6.50 प्रतिशत हो गई है। 

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