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बेसिक शिक्षा विभाग में निलंबन वापसी का रेट ₹2 लाख


वाराणसी:- एक शिक्षक को महज इसलिए निलंबित कर दिया गया कि वह सीडीपीओ द्वारा विद्यालय के निरीक्षण के दौरान कुर्सी पर बैठे रहे। यही नहीं इस शिक्षक का कहना है कि उसे निलंबन का पता 3 महीने बाद चला। जब उन्हें 16 फरवरी को नोटिस रिसीव कराया गया। जबकि घटना नवंबर 2021 की है यह मामला है पिंडरा विकासखंड के प्राथमिक विद्यालय कृष्णापुर खुर्द का है। भुक्तभोगी प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि मेरे साथ ऐसी घटना इसलिए हुई क्योंकि मैं बीएसए साहब और खंड शिक्षा अधिकारी पिंडरा का वह ऑडियो सुना दिया है। जिसमें उन्होंने निलंबर वापस कराने का खर्चा ₹2 लाख बताया है। यह स्थितियां उस सरकार की साख पर बट्टा लगाता है जो भ्रष्टाचार पर अंकुश का दावा करती है।

डीएम साहब से करेंगे फरियाद

प्रभारी प्रधानाध्यापक व भूतपूर्व सैनिक प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें निलंबन संबंधी जानकारी 11 फरवरी 2022 को तब दी गई। जब 2 महीने तक वेतन न मिलने के कारण उन्होंने बीएसए व एबीएसए को पत्र लिखा। तब बताया गया कि आप निलंबित हैं इसलिए वेतन बाधित चल रहा है। उनका कहना था कि पिंडरा के खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निलंबन बहाली के लिए ₹2 लाख खर्च होने का एक ऑडियो उनके पास था जिसे उन्होंने बीएसए साहब को सुना दिया। ऐसा सुनकर बीएसए साहब बिफर पड़े। इसी का परिणाम है कि बदले की कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा है कि यह कहां का नियम है कि निलंबित किए जाने के 3 महीने बाद नोटिस दी गई। अधिकारियों की इस मनमानी के खिलाफ हुए हैं डीएम के पास जाएंगे ताकि उन्हें न्याय मिल सके।

निलंबन का है यह कारण

बीएसए साहब के निलंबन आदेश में लिखा है कि खंड शिक्षा अधिकारी पिंडरा की रिपोर्ट 30 नवंबर 2021 के अनुसार बाल विकास परियोजना अधिकारी के निरीक्षण के दौरान विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक प्रमोद कुमार सिंह कुर्सी पर ही बैठे रहे और उनके सवालों का समुचित जवाब नहीं दिया। जिसे अनुशासनहीनता के कारण निलंबन किया गया। इस बाबत बेसिक शिक्षा अधिकारी राकेश सिंह ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा शिक्षक को निलंबन की सूचना दी गयी थी।


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