नहीं हुआ जिले के भीतर तबादला, पदोन्नति भी नहीं हुई

प्रयागराज:- जिले में बीते 5 साल में बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक विद्यालयों एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का न तो जिले के भीतर तबादला हुआ और ना ही पदोन्नति की आस पूरी हो सकी। बेसिक शिक्षा मंत्री डॉ सतीश चंद्र द्विवेदी ने जिले के अंदर एक से दूसरे विकासखंड में तबादले के लिए कई बार आश्वासन दिया।

लेकिन वास्तविकता में कुछ नहीं हुआ पिछले साल 23 अप्रैल को मंत्री ने ट्वीट कर शिक्षकों के जिले के भीतर जल्द तबादले की बात कही थी फिर उसके बाद 7 अगस्त को शिक्षा विभाग के अधिकारियों की बैठक में अगस्त में ही स्थानांतरण करने के निर्देश दिए लेकिन ना तो शासनादेश जारी हुआ। और ना ही प्रक्रिया आगे बढ़ सके शिक्षकों में इस बात को लेकर नाराजगी है। कि उनका पद जिला कैडर का होने के बावजूद 2016 के बाद से जिले के भीतर ट्रांसफर नहीं हुआ। जबकि इन 5 सालों के दौरान गैर जिले के शिक्षकों को दो बार अंतर्जनपदीय तबादले का लाभ मिला पहले जिले के अंदर प्रत्येक वर्ष स्थानांतरण होता था, लेकिन 2016 के बाद से स्थानांतरण नहीं हुआ कुछ गिनती के शिक्षकों को पारस्परिक स्थानांतरण का लाभ मिला। इस दौरान शिक्षकों को पदोन्नति भी नहीं मिली जिले में मार्च 2009 से नियुक्त हजारों शिक्षक पदोन्नति के इंतजार में हैं बेसिक शिक्षा परिषद के नियमों के मुताबिक नियुक्ति के 3 साल बाद पदोन्नति होनी चाहिए। लेकिन प्रयागराज में आखिरी बार 2016 में फरवरी 2009 तक नियुक्त शिक्षकों को ही पदोन्नति मिल सकती है पदोन्नति ना होने के कारण प्रत्येक शिक्षक को हर महीने औसतन 4-5 हजार रुपये का नुकसान हो रहा है। वहीं दूसरी ओर एक परिसर में स्थित प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों का संविलियन कर देने से प्रधानाध्यापक के सैकड़ों पद कम हो गए हैं इससे शिक्षकों की पदोन्नति के अवसर भी कम हो गए हैं।

इनका कहना है

5 साल में सबसे अधिक शिक्षकों के हित प्रभावित हुए हैं जिले के अंदर स्थानांतरण 5 वर्ष से नहीं हुए जबकि पारस्परिक स्थानांतरण नई सरकार बनने के बाद 2 बार हुए शिक्षक का पद जिले का इधर का होता है। बाहरी जिलों से आए शिक्षकों से ज्यादा प्राथमिकता जनपद में पूर्व से नियुक्त शिक्षकों की होनी चाहिए किंतु नियमावली के विरुद्ध अन्य जिलों से आए शिक्षकों को प्राथमिकता दी गई।- अनिल राजभर परिषदीय शिक्षक

जिले में मार्च 2009 से नियुक्त शिक्षकों को पदोन्नति नहीं मिल सकी है। हम लोगों का हर महीने औसतन 4 से 5 हजार रुपए का नुकसान हो रहा है नियमित 3 साल के बाद पदोन्नति होनी चाहिए लेकिन हजारों शिक्षक ऐसे हैं जिनका प्रमोशन नियुक्ति के 5 से 12 साल के बाद भी नहीं हुआ।- दीपक मिश्र परिषदीय शिक्षक


Leave a Reply