प्रमोशन से इन्कार किया तो कभी नहीं होगी पदोन्नति

राज्य कर विभाग में बरसों से जमे कर्मचारियों पर सख्ती शुरू

प्रमोशन से इन्कार पर देना होगा शपथपत्र, मची खलबली

लखनऊ। राज्य कर विभाग में बरसों से जमे कर्मचारियों पर सख्ती शुरू हो गई है। विभाग ने प्रोन्नति कोटे को लेकर सभी कर्मचारियों से अग्रिम फोरगो ( पदोन्नति से इन्कार) मांग लिया है। इसके तहत प्रमोशन से इन्कार करने पर शपथपत्र देना होगा कि भविष्य में कभी प्रमोशन की मांग नहीं करेगा। इस संबंध में अपर आयुक्त (प्रशासन) राज्य कर मुख्यालय ओमप्रकाश वर्मा ने सभी अपर आयुक्तों को पत्र जारी किया है। इस फरमान से प्रदेश भर के राज्य कर विभाग में खलबली मच गई है।

वर्ष 2022-23 और वर्ष 23-24 में विभागीय प्रोन्नति कोटे की रिक्तियों के सापेक्ष लोक सेवा आयोग के माध्यम से चयन किया जाना है। इसमें रिक्तियों की संख्या के आधार पर 10 अप्रैल को जारी वरिष्ठता सूची के आधार पर पदोन्नति की जानी है। इसे अमल में लाने से पहले कर्मचारियों से फोरगो मांगा गया है।

वर्षों से जमे कर्मचारियों की निगरानी होगी। उनकी मनमानी रोकने के लिए पदोन्नति न चाहने का लिखित शपथपत्र देना होगा एक बार पदोन्नति से इन्कार का शपथपत्र देने के बाद उसे भविष्य में होने वाली पदोन्नति की पात्रता सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। पदोन्नति न लेने वाले कर्मचारियों के कामकाज की जांच वरिष्ठ अधिकारी करेंगे। इसके बाद तय होगा कि भविष्य में संवेदनशील व महत्वपूर्ण पदों पर उन्हें तैनात किया जाए या नहीं तय फार्मेट में दिए गए शपथपत्र को विभागीय प्रोन्नति समिति के सामने रखा जाएगा, जिसके आधार पर पदोन्नति संबंधी फैसले पर अंतिम फैसला लिया जाएगा

शपथपत्र में यह लिखकर देना होगा

चयन वर्ष 2022-23 और चयन वर्ष 2023-24 के लिए प्रस्तावित राज्य कर अधिकारी के पद के लिए डीपीसी में वह पदोन्नति का इच्छुक राज्य कर विभाग में एक ही सीट नहीं है। यदि उनके स्थान पर उनसे जूनियर कर्मचारी की राज्य कर अधिकारी के पद पर पदोन्नति कर दी जाती है तो इसमें उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी। भविष्य में वह अपनी वरिष्ठता के अनुसार पदोन्नति दिए जाने के हकदार नहीं होंगे। वहीं, इस बात का भी शपथपत्र मांगा गया है कि जूनियर को प्रमोशन देने के बाद उसके ऊपर आ जाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।


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