समर्थ पोर्टल पर दर्ज की जाएगी विशेष शिक्षकों की उपस्थिति

2,129 दिव्यांगों को शिक्षित करने की मिली है जिम्मेदारी, स्कूल में करते हैं बच्चों को शिक्षित

गौरीगंज (अमेठी ):- परिषदीय स्कूल में पंजीकृत निशक्त बच्चों को शिक्षित करने के लिए नियुक्त स्पेशल एजुकेटर की मनमानी अब नहीं चलेगी। विभाग ने समर्थ पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करने का आदेश जारी किया है। पोर्टल पर शिक्षकों के साथ निशक्त बच्चों की जानकारी अपलोड की जा चुकी है। शिक्षक प्रतिदिन रोस्टर के अनुसार स्कूल में बच्चों के साथ ऑनलाइन पोर्टल पर उपस्थिति लोड करेंगे।

बेसिक शिक्षा विभाग सर्व शिक्षा अभियान के तहत बच्चों को शिक्षित करने में जुटा है। बच्चों को शिक्षित किया जा सके इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से जिले में 1,139 प्राथमिक, 234 उच्च प्राथमिक व 197 कंपोजिट परिषदीय स्कूल संचालित किए जाते हैं। इन स्कूलों में कक्षा एक से आठ तक की कक्षाओं में मौजूदा समय 2.06 लाख बच्चे पंजीकृत हैं। पंजीकृत बच्चों में 2,129 निशक्त बच्चे भी शामिल हैं। निशक्त बच्चों को शिक्षित करने के लिए विभाग की ओर 27 स्पेशल एजुकेटर तैनात किए गए हैं। तैनात विशेष शिक्षक मासिक रोस्टर से निर्धारित स्कूल जाकर बच्चों को शिक्षित करते हैं। ऐसे में रोस्टर का फायदा उठाते हुए प्रभारी जिला समन्वयक समेकित शिक्षा अरुण कुमार त्रिपाठी ने बताया कि समर्थ पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था प्रभावी कर दी गई है। सभी स्पेशल एजुकेटर को अपनी लॉगिन आईडी व पासवर्ड की मदद से प्रतिदिन अनिवार्य रूप से उपस्थित दर्ज करनी होगी। शिक्षकों को प्रतिमाह शिक्षण कार्य का रोस्टर निर्धारित कर एक प्रति कार्यालय में देनी होगी। निर्धारित रोस्टर के अनुसार शिक्षण कार्य की अचानक क्रास चेकिंग कराई जाएगी।

मनमानी रोकने के लिए समर्थ पोर्टल तैयार किया गया है। पोर्टल पर शिक्षकों व बच्चों से जुड़ी जानकारी अपलोड करने के बाद शिक्षकों को प्रतिदिन ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने को कहा गया है। अब शिक्षकों को शिक्षा व्यवस्था में जल्द प्रतिदिन स्कूल पहुंचने के बाद पोर्टल पर बच्चों के साथ ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज करनी होगी। विभाग पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन निगरानी कर बच्चों की शैक्षिक संवर्धन की निगरानी करेगा तो पोर्टल पर उपस्थिति के आधार पर ही वेतन आहरित करेगा।

शिक्षा व्यवस्था में आएगा सुधार:

बीएसए संगीता सिंह ने बताया कि समर्थ पोर्टल पर उपस्थिति ऑनलाइन जीपीएस सिस्टम से दर्ज होने से शिक्षकों की मनमानी पर अंकुश लगेगा। शिक्षक स्कूल में मौजूद रहेंगे तो शिक्षण व्यवस्था भी प्रभावी होगी। इसके साथ ही निशक्त बच्चों की शैक्षिक व्यवस्था बेहतर होगी तो उनका बौद्धिक व शैक्षिक संवर्धन में वृद्धि करने में सहूलियत होगी।

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