लखनऊ: प्रेरणा डीबीटी एप पर परिषदीय विद्यालयों के छात्र व उनके अभिभावकों के आधार प्रमाणीकरण की प्रक्रिया में लखनऊ फिसड्डी साबित हो रहा है। एक माह में महज 12 फीसद छात्रों का ही डाटा वेरिफाई हो सका है। जबकि परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक में छात्रों की संख्या करीब 2,09,421 हैं। जिले स्तर पर अधिकारियों के इस ढुलमुल रवैये पर विभाग के अधिकारियों ने फटकार भी लगाई, मगर हालात जस के तस हैं।

प्रदेश सरकार इस बार परिषदीय विद्यालयों के विद्यार्थियों के लिए यूनिफार्म, स्वेटर, जूते-मोजे और बस्ता मुहैया कराने के बजाय उसे खरीदने के लिए आवश्यक धनराशि सीधे अभिभावकों को खाते में देगी। स्वेटर के लिए 200 रुपये, दो जोड़ी यूनिफार्म के लिए 600 रुपये, जूते के लिए 135 रुपये, बस्ते के लिए 100 रुपये और मोजे के लिए 21 रुपये दिए जाएंगे। धनराशि प्रेरणा डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) एप के माध्यम से दी जाएगी। इसके लिए सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों व इंचाजरें को डीबीटी एप डाउनलोड कर छात्रों व उनके माता-पिता का डाटा आधार से वेरिफाई करना है। शासन व विभाग की गंभीरता के बाद भी बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने इस पर ध्यान नहीं दिया। खंड शिक्षा अधिकारियों की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार अभी तक 58,381 विद्यार्थियों के डाटा का ही परीक्षण हो सका। बेसिक शिक्षा निदेशक डा. सर्वेंद्र विक्रम बहादुर सिंह ने इसपर लिखित में गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने प्राथमिकता पर यह कार्य पूर्ण करने का निर्देश देते हुए कार्रवाई करने की चेतावनी दी है।

आ रहीं समस्याएं: शिक्षकों के अनुसार एप डाउनलोड करने में समस्या आ रही है। डाउनलोड होने के बाद छात्रों व उनके माता-पिता का डाटा नहीं दर्शाता है। ऐसे में बिना डाटा के आधार से वेरिफाई करना असंभव है।


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