नए स्लैब की दरों में बदलाव संभव, बढ़ सकती है करमुक्त आय व 80सी: 2.5 लाख की सीमा

नया टैक्स स्लैब दो साल बाद भी व्यक्तिगत करवताओं को लुभाने में नाकाम रहा। 31 जुलाई, 2022 तक 5.83 करोड़ व्यक्तिगत करदाता आकलन वर्ष 2022-23 के लिए आयकर रिटर्न दाखिल कर चुके हैं। इनमें नया टैक्स स्लैब चुनने वालों की संख्या नगण्य रही। नए स्लैब के प्रति आयकरदाताओं को आकर्षित करने के लिए सरकार बजट में कर दरों में बदलाव कर सकती है।

नए स्लैब में 5 लाख रुपये तक की आय पर टैक्स छूट मिल सकती है। अभी इस पर 5 फीसदी टैक्स लगता है। 30 फीसदी के अधिकतम स्लैब को पटाकर 25 फीसदी किया जा सकता है।

होम लोन के ब्यान पर छूट दी जा सकती है। स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी इसमें शामिल किया जा सकता है।

बढ़ सकती है करमुक्त आय:

वर्तमान में टैक्स छूट की न्यूनतम सीमा 2.5 लाख रुपये है। 2014-15 के बाद इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है। उस समय यह लिमिट 2 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये की गई थी। महंगाई और कोरोना महामारी के बाद बचत की बढ़ी जरूरत को देखते हुए सरकार बेसिक लिमिट को बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर सकती है। इससे खर्च करने की क्षमता बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।

80सी : 2.5 लाख की सीमा:

आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलने वाली छूट को लेकर वर्षों से कोई नहीं हुई है। कर संग्रह के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष अच्छा रहने की वजह से सरकार 80सी के तहत छूट की सीमा को 1.50 लाख से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपये कर सकती है। इंस्टीटयूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेट्स ऑफ इंडिया का कहना है कि 80सी का दायरा बढ़ाने से लोगों को बचत करने का मौका मिलेगा।

  • स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को भी 50,000 रुपये से ant 75,000 रुपये किया जा सकता है।

पीपीएफ: 80सी से अलग प्रावधान करने की जरूरत:

सार्वजनिक भविष्य निभिः (पीपीएफ) में योगदान की सालाना सीमा को मौजूदा 1.50 लाख रुपये से 3 रुपये तक किया जा सकता है। इसमें कई वर्षों से बदलाव नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन श्रीम, बच्चों की ट्यूशन की अलफेड की कई योजनाएं पहले से ही 80 के दायरे में आती है। इसलिए, पीपीएफ में पर्याप्त योगदान की नहीं है। इसके लिए अलग से प्रावधान किया जा सकता है।

बीमा : बोझ घटाने को बढ़े 80डी का दायरा:

कोरोना के बाद स्वास्थ्य बीमा की बड़ी हुई लागत के साथ मध्य वर्ग पर वित्तीय बड़ा है। इसकी कम करने के लिए डॉक्टर शुल्क और जांच जैसे ख के लिए 80 डी कासा बढ़ाया जा सकता है।

  • एडलमोज टोक्यो लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक सुजीत मुखोपाध्याय ने कहा कि 80सी के तहत 1.50 लाख रुपये तक के निवेश पर टैक्स छूट का लाभ मिलता है। ऐसे में जीवन बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम पर अलग से टैक्स छूट का प्रावधान किया जा सकता है।

स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी की दर को 18 फीसदी से पटाकर 5 फीसदी किया जा सकता है।


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