पीएफएमएस पोर्टल : खामियों की भेंट चढ़ी योजना, शासन ने बंद की व्यवस्था

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लखनऊ। परिषदीय स्कूलों में विकास कार्यों का भुगतान पीएफएमएस पोर्टल (सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली) से कराने की व्यवस्था शासन ने समाप्त कर दी है। इसमें शिक्षकों को पंजीकृत वेंडर से विद्यालयों के विकास कार्य कराने के बाद डीबीटी के माध्यम से भुगतान किया जाता था। यह व्यवस्था 1 जून 2022 से प्रदेश में लागू हुई थी। लेकिन मार्च में इस व्यवस्था के तहत भुगतान में सर्वर धीमें चलने समेत कई समस्याएं सामने आई। इससे शिक्षक तय समय पर वेंडरों का भुगतान ही नहीं कर पाए और स्कूलों के विकास कार्यों के लिए आवंटित लाखों रुपये फंस गए। इसका संज्ञान अब सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली से नहीं करना होगा भुगतान प्रशिक्षण का अभाव, सर्वर, पेमेंट गेटवे की समस्या बनी वजह लेते हुए शासन ने इस व्यवस्था को समाप्त करने का निर्णय लिया है।

लखनऊ में आई सर्वाधिक दिक्कतें पीएफएमएस पोर्टल की खामियों से लखनऊ के 1617 परिषदीय स्कूलों में विकास कार्यों का भुगतान प्रभावित हुआ। इस व्यवस्था के माध्यम से कंपोजिट ग्रांट एसीआर आदि मदों में आए पैसे को 31 मार्च से पूर्व खर्च करना था। शिक्षकों व प्रधानाचार्यों ने वेंडरों से काम कराया, लेकिन समय से भुगतान नहीं कर पाए। इससे कई जगह काम अधूरा रह गया तो कहीं वेंडर ने काम करने से ही मना कर दिया। शिक्षकों ने समुचित प्रशिक्षण न देने का भी आरोप लगाया। अव्यवस्था से लखनऊ में करीब 50 लाख रुपये का भुगतान फंस गया।

क्या होता है पीएफएमएस

पीएफएमएस एक वेब आधारित ऑनलाइन सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन है। इसके माध्यम से पेमेंट वाउचर जनरेट करने के बाद ऑनलाइन भुगतान किया जाता है। इसी के तहत प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों के लिए विकास कार्य कराने के बाद ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था थी।

शिक्षक संघ ने किया निर्णय का स्वागत

भुगतान प्रणाली पीएफएमएस में अनेकों खामियां रही हैं। इसे निरस्त करना स्वागत योग्य है। पिछले वित्तीय वर्ष में पोर्टल की खामी से 31 मार्च तक भुगतान ही नहीं हो पाया और लाखों रुपये लैप्स हो गए। विकास कार्य भी अटक गए। अब इसका भुगतान शिक्षकों को स्वयं करना पड़ रहा है। यह व्यवस्था निरस्त होने से शिक्षकों को राहत मिली है। विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

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