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फतेहपुर: अभिभावकों की जेब में डाका डाल रहे आमान्य स्कूल


फतेहपुर : अभिभावकों की जेब में डाका डाल रहे आमान्य स्कूल

फतेहपुर : नए शिक्षासत्र की शुरुआत से पहले ही कस्बे की गली-गली बिना मान्यता के स्कूल खुलने लगे हैं। चौराहों पर बड़ी-बड़ी होर्डिंग टांग दी गई हैं, तो कई स्कूल ई-रिक्शा से प्रचार कर दाखिले के लिए अभिभावकों को ऑफर दे रहे हैं। खासकर ग्रामीणांचलों में स्कूल संचालकों में प्रचार-प्रसार करने की होड़ लगी हुई है।

अप्रैल से नए शिक्षासत्र की शुरुआत होने के पहले ही अवैध स्कूलों की बाढ़ सी आ गई है। कस्बा हो या गांव हर जगह चौराहों पर अवैध स्कूलों के बड़े-बड़े होर्डिंग टंगे नजर आ रहे हैं। इन अवैध स्कूलों में धड़ल्ले से अभिभावकों को गुमराह करके फर्जी पंजीकरण नंबर भी दिखा रहे हैं। स्कूल संचालकों ने इस प्रकार जाल फैला रखा है कि अधिकारी और अभिभावक कोई भी उनके खिलाफ बोलने को तैयार नहीं है।


शिक्षा को बना दिया गया व्यवसाय:

अधिकांश स्कूलों में बच्चों की ड्रेस और कापी-किताब का भी ठेका ले लिया है, जबकि कुछ स्कूल कमीशन सेट होने वाली दुकानों पर भेजने का कार्य करते हैं और अभिभावक उसी दुकान से किताब और कॉपी लेने को मजबूर हो जाते हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि अब ग्रामीण इलाकों में हिंदी मीडियम स्कूल नहीं खुल रहे हैं।

प्ले स्कूल के लिए यह हैं नियम



● स्कूल पूरी तरह से स्वच्छ होने चाहिए।

● स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड होना चाहिए।

● स्कूल में सीसीटीवी कैमरे जरूर लगे होने चाहिए।

● छात्र और छात्राओं के लिए अलग से शौचालयों की व्यवस्था होनी चाहिए।

● 20 बच्चों पर एक अध्यापक व एक केयर टेकर की व्यवस्था होनी चाहिए।

● सेफ्टी के लिए भी गाइड लाइन

● फायर सेफ्टी की व्यवस्था होनी चाहिए।

● प्राथमिक उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए।

● स्कूलों में बच्चों को छोड़ने व ले जाने का पूरा रिकॉर्ड व बच्चों का पूरा रिकॉर्ड दुरुस्त होना चाहिए।

किसी भी हालत में आमान्य विद्यालय संचालित नहीं हो सकते हैं। सभी को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। सभी खंड शिक्षाधिकारियों से जांच कराई जाएगी। पकड़ में आने वालों के खिलाफ कार्रवाई तय है।“-
-संजय कुमार कुशवाहा, बीएसए


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