अनुकंपा नियुक्ति का दावा रद्द करने का आदेश गलत

प्रयागराज:-इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय द्वारा अनुकंपा नियुक्ति का दावा बिना कोई कारण बताए खारिज करने का आदेश रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि किसी भी निर्णय को लेने के पीछे उसका कारण उस निर्णय का सार होता है। बिना कारण बताए कोई भी आदेश जारी नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को छूट दी है कि छह सप्ताह में याची को कारण दर्शाते हुए आदेश जारी कर सूचित करें।यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी ने नेहा मिश्रा की याचिका पर अधिवक्ता विभु राय व धनन्जय राय को सुनकर दिया है। अधिवक्ता विभु राय का कहना था कि याची के पति इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कर्मचारी थे। सेवाकाल में उनकी मृत्यु हो गई। याची ने पति की मृत्यु के पांच साल बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए दावा किया, जिसे इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यसमिति ने 17 अगस्त 2021 को हुई बैठक में खारिज कर दिया।

एडवोकेट विभु राय का कहना था कि दावा खारिज करने के पीछे का कोई कारण नहीं बताया गया। याची को सूचना दी गई कि उसका दावा खारिज किया जा रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार का आदेश उचित नहीं कहा जा सकता, जिसे जारी करने का पीछे का कारण न बताया जाए। कोर्ट ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार को आदेश दिया है कि छह सप्ताह के अंदर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कार्यसमिति द्वारा लिए गए निर्णय के पीछे का कारण दर्शाते हुए याची को नए सिरे से आदेश से अवगत कराएं।


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