समाज कल्याण में 20-20 साल से एक ही स्थान पर बाबुओं की तैनाती का मामला

समाज कल्याण विभाग में 20-20 साल से एक ही जिले में बाबुओं की तैनाती के मामले में शासन ने जांच के आदेश दिए हैं । इसमें सीएम कार्यालय ने भी रिपोर्ट मांगी है । उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक , पूरे मामले में इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों कर्मचारियों पर कड़ी कार्रवाई की तैयारी है ।

पूरे मामले में शासन ने समाज कल्याण निदेशालय से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है । दो अगस्त के अंक में इस मुद्दे को अमर उजाला ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था नियमानुसार , एक जिले में बाबू तीन साल और मंडल में सात साल तैनात रह सकता है । लेकिन लखनऊ अयोध्या , गाजियाबाद बहराइच अलीगढ़ , हाथरस अमरोहा , फिरोजाबाद , फतेहपुर वाराणसी , प्रयागराज और इटावा समेत तमाम जिलों में ऐसे तमाम उदाहरण हैं , जहां बाबुओं की तैनाती के 8 साल से लेकर 20 साल तक पूरे हो चुके हैं । ये सभी बाबू जिला समाज अधिकारी कार्यालयों में तैनात हैं सेटिंग की स्थिति यह है कि अगर किसी बाबू की तैनाती पर सवाल उठता है तो उसे वहां से हटाकर कल्याण विभाग की किसी संस्था में मूल तैनाती दे दी जाती है । लेकिन कल्याण अधिकारी कार्यालय में ही न रहती है ।

विभागीय अधिकारियों को कहना कि हर साल 10 फीसदी बाबू ही स्थानांतरित किए जा सकते हैं , इसलिए दिक्कत आती है लेकिन यहां स्थिति यह है कि 20-22 वर्षों से जमे इन बाबुओं की इस रोटेशन में कभी बारी ( टर्न ) ही नहीं आती । यहां तक कि भ्रष्टाचार में जेल गए बाबू भी उसकी मनचाही जगह पर तैनात रखा गया । समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बताया कि इसमें विभाग के ही अधिकारियों की मिलीभगत है ।


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