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बोर्ड परीक्षा सिर पर, सरकारी स्कूलों में चौपट ऑनलाइन पढ़ाई, राजकीय और एडेड विद्यालय में ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ खानापूर्ति


गूगल मैप पर ऑनलाइन क्लास हो रही है फेल व्हाट्सएप ग्रुप बने सहारा

लखनऊ:-उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद कभी भी यूपी बोर्ड वर्ष 2022 की परीक्षाओं की तिथियों की घोषणा की जाएगी। वही महामारी संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पहले ही स्कूल कॉलेज 30 जनवरी तक बंद किए जा चुके हैं। ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश जरूर है लेकिन लखनऊ के राजकीय और एडेड विद्यालयो में पढ़ने वाले गरीब छात्र छात्राएं ऑनलाइन पढ़ाई से पूरी तरह दूर हैं। सबसे ज्यादा मुश्किल कक्षा 10 और 12 के छात्रों की है। जिनको संभवत मार्च में बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होना है। अधिकांश एडेड विद्यालयों में हालात ऐसे ही हैं 4 से 5 फ़ीसदी बच्चे भी ऑनलाइन कक्षाओं से नहीं जुड़ पा रहे हैं।

व्हाट्सएप ग्रुप बने और छात्रों को पता नहीं

शहर के एक या दो राजकीय कॉलेज को छोड़ दिया जाए तो सभी अन्य व्हाट्सएप ग्रुप से भेजे जाने वाली सामग्री को ऑनलाइन पढ़ाई मानते हैं। कालेज बच्चों द्वारा रजिस्ट्रेशन के समय दिए गए नंबरों को ग्रुप में जोड़ लेते हैं और ग्रुप में पढ़ाई होने लगती है। कितने बच्चे जुड़े कितनों ने होमवर्क किया, कितने अनुपस्थित रहे यह किसी को पता ही नहीं चल पाता। अधिकांश बच्चों को खुद इन व्हाट्सएप ग्रुप में हो रही ऑनलाइन पढ़ाई के बारे में कोई जानकारी नहीं है। माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय मंत्री और प्रवक्ता डॉक्टर आरपी मिश्रा ने कहा कि ग्रामीण अंचल में रहने वाले तमाम बच्चों के पास फोन नहीं है। रजिस्ट्रेशन के समय किसी जानने वाले का नंबर दे दिया जाता है। स्कूल वाले रिकॉर्ड में दर्ज नंबर को भी ग्रुप में जोड़ते हैं। उस नंबर पर छात्र होता ही नहीं है तो कैसे पढ़ाई करे। इसके अलावा अगर बच्चे का सही नंबर भी है तो उसके पास स्मार्टफोन नहीं है या इंटरनेट कनेक्शन नहीं है इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई का परिणाम राजकीय और एडिट कॉलेज में शून्य रहता है। 2 साल से महामारी है अब यह शासन को इन समस्याओं पर काम करना चाहिए।

ऑनलाइन कक्षा से बच्चों को जोड़ना मुश्किल

अग्रसेन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य साकेत सौरव बंधु ने कहा कि यह सच है कि बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई से जोड़ना मुश्किल काम है। बड़ी संख्या में बच्चे गरीब घरो से हैं। किसी के पास स्मार्टफोन तो किसी के पास इंटरनेट की समस्या है। निश्चित रूप से इसका असर पढ़ाई पर पड़ रहा है और सब ग्रुप के अलावा गूगल मीट से भी कोशिश की गई लाइव क्लास लेने की लेकिन इसमें 40 बच्चों की कक्षा में 4 बच्चे ही जुड़ पा रहे हैं।

ऑनलाइन पढ़ाई बस विकल्प

बालिका भारती इंटर कॉलेज की प्रधानाचार्या रीता टंडन ने कहा कि ऑफलाइन पढ़ाई की बराबरी ऑनलाइन पढ़ाई से नहीं की जा सकती है। ऑनलाइन कक्षाओं में बहुत मेहनत के बाद 35 से 40% छात्र-छात्राएं ही जुड़ पाती हैं। जबकि बोर्ड परीक्षा सिर पर है बीच में जब स्कूल खुले तो दोगुनी मेहनत के साथ पाठ्यक्रम पूरा करने का प्रयास किया गया। अब दोबारा महामारी संक्रमण की वजह से ऑनलाइन कक्षाओं का आदेश है। लेकिन ऑफलाइन जैसी पढ़ाई अभी ऑनलाइन क्लास में नहीं हो पाती है। यह समस्या सभी स्कूलों में है। सरकारी स्कूलों में गरीब घरों से आने वाले बच्चे पढ़ते हैं जिनके पास संसाधनों की कमी होती है।


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