पोषणयुक्त चावल को समझ रहे प्लास्टिक
शिक्षक व रसोइया फोर्टिफाइड चावल को एमडीएम से कर दे रहे अलग
सुल्तानपुर। मध्याह्न भोजन योजना के तहत विद्यार्थियों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए भेजे गए फोर्टिफाइड (पोषणयुक्त) चावल को लेकर भ्रम की स्थिति ने परेशानी बढ़ा दी है। शिक्षक व रसोइया फोर्टिफाइड चावल को पहचान नहीं पा रहे हैं। अधिकतर विद्यालयों में फोर्टिफाइड चावल को प्लास्टिक समझकर अलग कर दिया जा रहा है।
पौष्टिकता से भरपूर है पोषणयुक्त चावल
जिले में 2195 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना संचालित है। इन विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों की सेहत सुधारने के लिए शासन ने फोर्टिफाइड चावल वितरित करने का निर्देश दिया था। फोर्टिफाइड चावल की आपूर्ति भारतीय खाद्य निगम से की जा रही है। जानकारी के अभाव में फोर्टिफाइड चावल को लेकर भ्रांतियां उत्पन्न हो गई हैं। कोई इसे प्लास्टिक का चावल तो कोई नकली होने का दावा कर रहा है।
कई विद्यालयों में रसोइया फोर्टिफाइड चावल को सामान्य चावल से अलग कर एमडीएम तैयार कर रहे हैं। इससे शासन की मंशा पर पानी फिर रहा है। फोर्टिफाइड चावल के बारे में पहले से कोई सूचना प्रसारित नहीं होने का खामियाजा बच्चे भुगत रहे हैं। उन्हें पौष्टिक चावल नहीं मिल पा रहा है।
फोर्टिफाइड (पोषणयुक्त) चावल एक क्विंटल सामान्य चावल में सिर्फ एक किलो. के अनुपात में मिलाया जाता है। यह चावल कृत्रिम रूप से निर्मित चावल है। इसमें विटामिन, फोलिक एसिड और आयरन मिलाया जाता है। एमडीएम के जिला समन्वयक संदीप यादव ने बताया कि विद्यालयों में फोर्टिफाइड चावल के बारे में पहले भी सूचना भेजी गई थी। उन्होंने कहा कि रसोइया फोर्टिफाइड चावलों को अलग न करें। सामान्य चावल की भांति एमडीएम में इसका इस्तेमाल करें। इससे बच्चों को पौष्टिक भोजन मिलेगा।
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