माह मार्च की निष्ठा प्रशिक्षण मॉड्यूल-11 & 12 की लिंक, Join
मॉड्यूल-11 “शिक्षण, अधिगम,मूल्यांकन में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी ICT” की प्रश्रोत्तरी का हल।
मॉड्यूल-12 “बुनियादी स्तर के लिए खिलौना आधारित शिक्षण” की प्रश्नोत्तरी का हल।
प्रतापगढ़:- विधानसभा चुनाव में लगाए गए मतदान कार्मिकों में से सैकड़ों ने लापरवाही की है । वह बूथ पर गए ही नहीं । इस पर जिला प्रशासन ने उनको नोटिस जारी की है । इससे उनमें खलबली मची है । जिले में सात सीटों पर विधानसभा का चुनाव कराने के लिए 14 हजार से अधिक कार्मिक लगाए गए थे । इनमें शिक्षकों की संख्या अधिक रही । बैंक कर्मी , विभिन्न विभागों के कर्मी भी रहे । इनका कई दिन तक प्रशिक्षण शहर के संत अंथोनी इंटर कालेज में कराया गया । इनमें से अधिकांश शिक्षक और कर्मचारी प्रशिक्षण लेने के लिए आते रहे , लेकिन जब मतदान 27 फरवरी को कराया गया तो 600 से अधिक कर्मचारी वहां पहुंचे ही नहीं । पोलिंग पार्टियां रवाना होने के दौरान एटीएल के मैदान में इनकी खोज की गई तो इनका मोबाइल बंद मिला । ऐसे में प्रशासन परेशान हो गया । आनन – फानन में रिजर्व कर्मचारियों को मतदान के लिए रवाना किया गया । उस वक्त तो प्रशासन चुनाव में व्यस्त होने से शांत रहा , लेकिन अब कार्रवाई की तैयारी है ।
सीडीओ के स्तर से सभी विभागों के प्रमुख को उनके संबंधित गैरहाजिर कर्मचारियों का विवरण भेज दिया है । वहां से नोटिस जारी की जा रही है । यह ऐसे कर्मचारी रहे हैं जिन्होंने न तो कोई मेडिकल प्रमाण पत्र दिया है और न ही अनुपस्थित होने का को उनके संबंधित गैरहाजिर कर्मचारियों का विवरण भेज दिया है । वहां से नोटिस जारी की जा रही है । यह ऐसे कर्मचारी रहे हैं जिन्होंने न तो कोई मेडिकल प्रमाण पत्र दिया है और न ही अनुपस्थित होने काकोई दूसरा वाजिब कारण ही बताया है । इसके पहले करीब दो हजार कर्मचारियों ने अपने को अस्वस्थ बताते हुए सीएमओ के यहां अपनी जांच भी कराई थी । उनमें से 900 से अधिक कर्मचारियों को छूट भी से दी गई थी । सीडीओ ईशा प्रिया का कहना है कि लापरवाह कर्मचारियों पर कार्रवाई के लिए नोटिस भेजी जा रही है । निर्वाचन में न आना गंभीर बात है । चुनाव अनिवार्य ड्यूटी में आता है , इसमें इस तरह की बहानेबाजी नहीं की जानी चाहिए।
निजी चिकित्सकों ने खड़े किए हाथ
अब गैरहाजिर कर्मचारी अपने बचाव में सरकारी और निजी । अस्पतालों से मेडिकल प्रमाण पत्र बनवाने में लग गए हैं । सरकारी में बन नहीं रहा और निजी चिकित्सक भी रिस्क नहीं ले रहे । वह चुनाव आयोग की सख्ती के कारण फंसना नहीं चाहते ।