‘महिला योद्धा’ को शांति का नोबेल पुरस्कार
ईरान में आधी आबादी के हक लिए लड़ रहीं नरगिस को मिला सम्मान
ईरान में महिला अधिकारों, लोकतंत्र और सजा-ए-मौत के खिलाफ वर्षों से संघर्ष कर रहीं 51 साल की नरगिस मोहम्मदी को 2023 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। नोबेल कमिटी ने कहा कि महिलाओं के दमन के खिलाफ इस जंग की नरगिस को भी कीमत चुकानी पड़ी। उन्हें अब तक 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। पांच बार दोषी ठहराया जा चुका है। उन्होंने 31 साल जेल में बिताए हैं और अब भी कैद में हैं। उन्हें कोड़े भी खाने पड़े। जेल जाने के बावजूद उन्होंने अपना काम जारी रखा।
नरगिस ‘डिफेंडर ऑफ ह्यूमन राइट्स सेंटर की उप प्रमुख हैं। इसकी स्थापना नोबेल जीत चुकीं शिरीन एबादी ने की थी। नरगिस की हालिया गिरफ्तारी 2021 में हुई। तब उन्होंने पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि के खिलाफ 2019 में हुए राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन में मारे गए एक व्यक्ति की याद में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्हें तेहरान की सबसे बदनाम इविन कारागार में रखा गया है। इसी जेल में पश्चिमी देशों से संपर्क रखने के आरोपितों और राजनीतिक कैदियों को रखा गया है।
8 साल से बच्चों से नहीं मिलीं
MDOCC जून में न्यूयॉर्क टाइम्स को दिए इंटरव्यू में नरगिस ने कहा था कि उन्होंने 8 साल से अपनी जुड़वा बेटियों अली और कियाना को नहीं देखा है। एक साल पहले आवाज जरूर सुनी थी। बेटियां उनके पति तागी रहमानी के साथ फ्रांस में रहती हैं। तागी भी एक पॉलिटिकल एक्टिविस्ट हैं।
नरगिस यह सम्मान पाने वाली ईरान की दूसरी और दुनिया की 19वीं महिला हैं। नोबेल पुरस्कार में 18 कैरेट का गोल्ड मेडल, डिप्लोमा और 1.10 करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग 10 लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है।
कौन हैं नरगिस मोहम्मदी:
नरगिस का जन्म ईरान के जंजन शहर में 21 अप्रैल 1972 में हुआ। पेशे से इंजिनियर नरगिस कई अखबारों में लिखती भी रही हैं। वह 1990 के दशक से ही महिलाओं के हक के लिए आवाज उठा रही थीं।