ऑपरेशन कायाकल्प के लिए चल रहे अभियान में खुलासा, अब तीन माह में विद्युतीकरण का लक्ष्य

लखनऊ:- भविष्य स्मार्ट क्लास जैसी विभिन्न आधुनिक तकनीकों से लैस करने के लिए तैयार किए जा रहे प्रदेश कुल 1,32,985 परिषदीय विद्यालयों में से 21,744 में बिजली ही नहीं है । इसका खुलासा ऑपरेशन कायाकल्प के लिए चल रहे अभियान के तहत खुद बेसिक शिक्षा विभाग की जांच में हुआ है । इस खुलासे के बाद अब इन विद्यालयों में मिशन मोड के तहत तीन माह में बिजली आपूर्ति पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है । इसके लिए महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद ने पावर कॉर्पोरेशन के अधिकारियों से वार्ता की है ।

संबंध में सभी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को जरूरी कार्यवाही के निर्देश दिए गए हैं कहा गया है कि विद्यालयों विभिन्न बुनियादी सुविधाएं दुरुस्त करने के क्रम विद्युतीकरण जरूरी है । इससे ड्रॉपआउट कम होगी विद्यालयों में सब मर्सिबल पंप , आरओ वॉटर संयंत्र इंसीनरेटर आदि की सुविधा भी संभव हो सकेगी शिक्षण कार्य आधनिक तकनीकी गतिविधियों जैसे कंप्यूटर , स्मार्ट क्लास प्रयोगशालाओं आदि का प्रयोग सकेगा ।

ये निर्देश भी-

जिले के सभी बिजलीविहीन विद्यालयों में से विद्युत पोल से 40 मीटर से कम दूरी वाले और पोल से 40 मीटर से अधिक दूरी वाले विद्यालयों की अलग – अलग सूची तैयार कर ली जाए ।

◆ ऐसे सभी विद्यालयों में बिजली कनेक्शन के लिए झटपट पोर्टल पर आवेदन कराया जाए ।

40 मीटर से अधिक दूरी वाले विद्यालयों का आवेदन कराकर एस्टीमेट बनवा लिए जाएं । ऐसे विद्यालयों को विद्युत विभाग की योजनाओं से वित्तपोषित करते हुए विद्युतीकरण पर विचार होगा ।

विद्यालय के नाम होगा कनेक्शन

विद्युत विभाग से हुई वार्ता में तय हुआ है कि कनेक्शन के लिए आवेदन प्रधानाध्यापक करेंगे । हालांकि उनको बिल भुगतान की जिम्मेदारी नहीं होगी कनेक्शन विद्यालय के नाम से दिया जाएगा व बिल भुगतान की जिम्मेदारी भी विद्यालय स्तर पर होगी । इसके साथ ही पोर्टल पर आवेदन में विद्यालय स्थल के वैध उपयोग के प्रमाण पत्र के लिए जरूरी दस्तावेज भी लगते हैं इसके लिए तय हुआ है कि कनेक्शन के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अपने स्तर सभी बिना बिजली कनेक्शन वाले विद्यालयों के नाम प डायूस ब्लॉक की सूची प्रमाणित करके अधिशासी अभियंता को भेजेंगे । इसके आधार पर कनेक्शन देने की कार्यवाही होगी ।

कहीं उपकरण तो , कहीं कनेक्शन नहीं

सर्वे में विद्यालयों में बिजली न होने के अलग – अलग कारण सामने आए हैं । विद्यालय ऐसे मिले जहां उपकरण तो थे , पर कनेक्शन नहीं था । कुछ जगह तार चोरी होने व लंबे समय बिजली न होने की बात सामने आई । कई विद्यालय ऐसे हैं जो खंभे से दूर हैं और वहां तक कनेक्शन के लिए अपेक्षित बजट विभाग या ग्राम पंचायत के पास नहीं है तो कई ऐसे हैं , जहां न उपकरण है और न कनेक्शन ऐसा क्यों हुआ ? यह ज्यादा स्पष्ट नहीं हो सका । हालांकि 2018 से पूर्व तक का बिजली बकाया बेसिक शिक्षा विभाग ने चुका दिया है । उसके बाद ग्राम पंचायतों को बिल भरने की जिम्मेदारी दी गई है ।


Leave a Reply