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परीक्षा में निपुण मिले छात्र तो गुरुजी भी हो गए पास


परीक्षा में निपुण मिले छात्र तो गुरुजी भी हो गए पास

परिषदीय स्कूलों में हुई निपुण मूल्यांकन परीक्षा में 70 प्रतिशत बच्चे पास

पिछले साल परीक्षा का परिणाम था 48 प्रतिशत, इस बार 22 फीसदी की बढ़ोतरी

कानपुर। परिषदीय स्कूलों के छात्रों को निपुण बनाने के लिए की जा रही कवायद में छात्रों के साथ-साथ मास्टर साहब भी पास हो गए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार हर कक्षा के छात्रों को निपुण बनाने के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी तय की गई थी। जिम्मेदारी पूरा न करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की तैयारी थी। हालांकि बीते वर्ष की तुलना में परीक्षा परिणाम में 22 फीसदी की बढ़ोतरी होने से सभी ने राहत की सांस ली है। निपुण मूल्यांकन परीक्षा के पहले चरण में महज 48 फीसदी छात्र पास हुए थे, इस बार यह आंकड़ा 70 फीसदी तक पहुंच गया है। परीक्षा पास कर निपुण हुए इन छात्रों ने ए प्लस, ए और बी ग्रेड पाई है। इस बार निपुण मूल्यांकन परीक्षा 12 से 15 सितंबर के बीच आयोजित हुई थी।

1787 स्कूलों के 1,18,467 छात्रों ने परीक्षा दी थी। कक्षा एक से तीन के 14555 छात्रों को ए. -प्लस, 7516 को ए ग्रेड और 10320 को बी- ग्रेड मिला है। कक्षा चार से कक्षा आठ के 12464 छात्रों को ए प्लस, 18969 को ए ग्रेड और 17248 को बी ग्रेड मिला है। 30 फीसदी छात्रों ने सी, डी और ई ग्रेड पाई है। ऐसे में इस बार शिक्षकों का सबसे ज्यादा फोकस इन्हीं छात्रों को निपुण बनाने पर रहेगा।

गौतमबुद्ध नगर और अंबेडकर नगर रहे अव्वल:

छात्रों को निपुण बनाने के मामले में कक्षा एक से तीन में गौतम बुद्ध नगर जिला पहले स्थान पर रहा। यहां के 49.90 फीसदी छात्र 90 फीसदी से अधिक अंक लाकर पास हुए हैं। वाराणसी दूसरे स्थान पर रहा। कक्षा चार से आठ में अंबेडकर नगर अव्वल रहा।

कमजोर छात्रों के लिए लगी थीं एक्सट्रा क्लास:

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सुरजीत कुमार सिंह ने बताया कि पिछली बार 48 फीसदी परिणाम रहने से निराशा हुई थी। परिणाम की समीक्षा की गई। विश्लेषण करने के बाद एआरपी, संकुल शिक्षकों को नोटिस जारी किए गए थे। साथ ही बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से मिली संदर्शिका के पाठ्यक्रम के आधार पर शिक्षण कार्य कराया गया। इसके बाद समीक्षा बैठक के माध्यम से समय- समय पर पढ़ाई की गुणवत्ता की जांच की गई। परीक्षा परिणाम बढ़ाने के लिए शिक्षकों की जिम्मेदारी तय कर दी गई थी। कमजोर छात्रों को पढ़ाने के लिए अलग से कक्षाएं लगवाई गई थीं।

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